आदित्य चौटाला ने भाजपा से इस्तीफा देने के बाद कहा कि पार्टी की नीतियों और कार्यशैली से वह लंबे समय से असहमत थे। उन्होंने भाजपा पर आंतरिक लोकतंत्र की कमी और निर्णय लेने में पारदर्शिता का अभाव होने का आरोप लगाया। चौटाला ने यह भी कहा कि उन्होंने पार्टी के भीतर अपनी असहमति को कई बार व्यक्त किया था, लेकिन उन मुद्दों को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। इसी कारण उन्होंने पार्टी से अलग होने का फैसला किया है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा छोड़ने के पीछे उनके व्यक्तिगत स्वार्थ या पद की आकांक्षा नहीं है, बल्कि यह जनता के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया कदम है। आदित्य चौटाला का कहना है कि अब वह एक नई दिशा में आगे बढ़ने का मन बना चुके हैं और जनता के लिए बेहतर कार्य करने के इरादे से आगे की राह तय करेंगे।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब हरियाणा में विधानसभा चुनावों की तैयारियाँ जोरों पर हैं। आदित्य चौटाला के भाजपा छोड़ने से पार्टी को एक बड़ा झटका माना जा रहा है, खासकर जाट समुदाय में उनके प्रभाव को देखते हुए। चौटाला परिवार का हरियाणा की राजनीति में गहरा प्रभाव रहा है, और आदित्य का भाजपा से जाना राज्य की राजनीति में नए समीकरण बना सकता है। उनके इस कदम से जाट मतदाताओं पर भी खासा असर पड़ने की संभावना है, जो भाजपा के लिए एक चुनौती साबित हो सकती है।
भाजपा के भीतर आदित्य चौटाला के इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कुछ नेताओं ने उनके फैसले को व्यक्तिगत बताते हुए इसे अधिक तूल न देने की सलाह दी है, जबकि अन्य इसे पार्टी के लिए गंभीर चुनौती मान रहे हैं। पार्टी में यह भी चर्चा हो रही है कि आदित्य चौटाला का जाना राज्य की चुनावी रणनीति पर असर डाल सकता है, और इसे लेकर शीर्ष नेतृत्व द्वारा स्थिति का जायजा लिया जा रहा है।
अब राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें इस पर टिकी हैं कि आदित्य चौटाला आगे क्या कदम उठाते हैं। क्या वह किसी नई राजनीतिक पार्टी में शामिल होंगे या फिर अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाएंगे? इस सवाल का जवाब आने वाले समय में हरियाणा की राजनीति को एक नई दिशा दे सकता है। भाजपा से इस्तीफा देने के बाद आदित्य चौटाला ने अपने भविष्य की योजनाओं पर खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके समर्थकों में उम्मीद है कि वह जल्द ही अपनी नई रणनीति का खुलासा करेंगे।
उनके इस निर्णय के बाद हरियाणा की सियासत में तेज हलचल मची हुई है, और भाजपा को इस बात का आकलन करना होगा कि इस घटनाक्रम से कैसे निपटा जाए ताकि आगामी चुनावों में इसे नुकसान न उठाना पड़े।