दुकानों की आवंटन प्रक्रिया होगी शुरू, शहरी निकाय विभाग ने पत्र जारी किया
दुकानों की आवंटन प्रक्रिया होगी शुरू, शहरी निकाय विभाग ने पत्र जारी किया
: पूर्व मंत्री ग्रोवर ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार व्यक्त किया
रोहतक, 20 अक्टूबर,
शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय ने गांधी कैंप के प्रभावित दुकानदारों के लिए पावर हाउस स्थित बनाई गई स्वामी दयानंद मार्केट में दुकाने आवंटित करने के लिए हरी झंडी दे दी है। अब प्रथम फेज में 37 दुकानदारों को दुकानें आवंटित की जाएगी, उन्हें सिर्फ एक लाख रुपए प्रति वर्ग गज के हिसाब से दुकान अलॉट होंगी।
शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय द्वारा हरी झंडी मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए पूर्व मंत्री और प्रदेश उपाध्यक्ष श्री मनीष कुमार ग्रोवर ने कहा कि सरकार ने पहले 2 लाख 40 हजार रुपए प्रति वर्ग गज का रेट तय किया था। उसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 40 हजार रुपए प्रति वर्ग गज में छूट देने का फैसला लिया था। नगर निगम की ओर से जमीन का अधिग्रहण करने पर दुकानदारों को एक लाख रुपये प्रति वर्ग गज का मुआवजा दिया जाएगा। इस तरह सभी प्रभावित दुकानदार भाइयों को एक लाख रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से नगर निगम में रुपए जमा करने होंगे। उदाहरण के लिए12 गज की दुकान है तो उन्हें 12 लाख रुपए जमा कराने होंगे और 18 गज की दुकान है तो उन्हें 18 लाख रुपए जमा कराने होंगे। सरकार ने प्रभावित दुकानदारों के लिए जो मार्केट बनाई है, वह दिल्ली रोड पर है और आने वाले समय में उसकी वैल्यू कई लाख गुना बढ़ेगी। सरकार ने प्रथम फेज में प्रभावित 37 दुकानदार भाइयों को दुकान अलॉट करने के लिए ड्रा को हरी झंडी दी है। उसके बाद शेष 39 दुकानदारों को दूसरे फेज में दुकान अलॉट की जाएगी। सभी दुकानों पर दुकानदारों का ही मालिकाना हक होगा, इसलिए राज्य सरकार ने दुकानदार भाइयों के हितों का ध्यान रखते हुए उन्हें मार्केट बनाकर दी है। उन्होंने दुकानदार भाइयों का आह्वान किया कि वह सभी ड्रा की प्रक्रिया में शामिल हो और किसी भी विपक्षी दल के राजनेता के बहकावे में आने से बचें। राज्य सरकार ने उन्हें एक अच्छी जगह नई मार्केट बना कर दी है। अपने भविष्य को देखते हुए आगे बढ़े।
करीब 22 करोड रुपए की आई लागत
दिल्ली रोड स्थित पावर हाउस की जमीन पर बनाई गई दुकानों के प्रोजेक्ट पर करीब 22 करोड रुपए की लागत आई है। इनमें 5 करोड़ ₹9 लाख रुपए की लागत से सभी दुकानों का निर्माण किया गया है जबकि जमीन ट्रांसफर मामले में 16 करोड़ 80 लाख रुपए सरकार द्वारा वहन किए गए हैं।