
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार चंद्र ग्रहण को पैराणिक कथाओ से जोड़कर देखा जाता है जब समुन्द्र मंथन के दौरान असुर स्वर भानु ने देवताओं के रूप बदलकर अमृतपान कर लिया था
करीब 1 घंटा 22 मिनट तक चाँद पूरा का पूरा लाल रहेगा
दिल्ली 6 सितम्बर – आज की रात एक ऐसी घटना घटने वाली है… जिसे आप भूल नहीं पाएंगे। क्योकि ये कोई साधारण रात नहीं होगी ,ये एक ऐसी रात होगी जिसमे चाँद का रंग बदल जायेगा यानी वो चाँद जो मोहब्बत के नाम से जाना जाता है ,जो कवियों की कलम में अमर हो जाता है वही चाँद खून की तरह लाल हो जायेगा , जिसे हम कहेंगे चंद्रग्रहण। ये संयोग भारत में 7 साल बाद देखने को मिलेगा।
अब आइये आपको बताते है की क्या होता है चंद्रग्रहण
जैसा की हम जानते है की पृथ्वी गोल है और घूमती रहती है और जब पृथ्वी सूरज और चाँद के बिच आ जाती है तो सूरज की रौशनी चाँद तक नहीं पहुंच पाती है और पृथ्वी की छाया चाँद पर पड़ती है पहले गहरी अंधकार की चादर और अंत में पूरा का पूरा चाँद लाल हो जाता है। इसलिए वैज्ञानिक इसे स्कैटरिंग कहते है यानि जब सूरज की रौशनी पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरकर चाँद तक पहुँचती है तो नीली किरणे छट जाती है और लाल किरणे बचती है इसलिए पूरा चाँद लाल हो जाता है। चंद्रग्रहण की शुरुआत होगी 7 सितंबर रात 8 बजकर 58 मिनट पर।11 बजे से पूर्ण चंद्रग्रहण शुरू हो जाएगा।करीब 1 घंटा 22 मिनट तक चाँद पूरा का पूरा लाल रहेगा।और पूरा ग्रहण खत्म होगा सुबह 2 बजकर 25 मिनट पर। 7 सितंबर को लगने वाला है यह चंद्रग्रहण एशिया, पूर्वी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के अधिकांश भागों से देखा जा सकता है. साथ ही सिंगापुर, सिडनी, मेलबर्न, दुबई, लन्दन, टोक्यो और केप टाउन कुछ लोकप्रिय शहर है, जहां पूर्ण चन्द्र ग्रहण दिखाई देगा.यह चंद्रग्रहण उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश भागों से दिखायी नहीं देगा।
भारत में कहां-कहां दिखेगा चंद्रग्रहण?
भारत में यह चंद्रग्रहण मुंबई ,कोलकाता,चेन्नई ,बैंगलोर ,हैदराबाद ,अहमदाबाद ,जयपुर ,लखनऊ ,जैसे शहरों में नजर आएगा। यानि 7 तारीख की रात आप चाँद की तरफ देखेंगे तो आपको लगेगा की मानो कोई खगोलीय फिल्म चल रही हो आपको बता दे की 7 दिसंबर 2025 को लगने वाला चंद्रग्रहण 2018 के बाद पहला ऐसा ग्रह है जो पूरे भारत में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। यानी 7 साल बाद ऐसा पूर्व चंद्रग्रहण है जो भारत के हरेक हिस्सों में दिखेगा।
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार।
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार चंद्र ग्रहण को पैराणिक कथाओ से जोड़कर देखा जाता है जब समुन्द्र मंथन के दौरान असुर स्वर भानु ने देवताओं के रूप बदलकर अमृतपान कर लिया था ,लेकिन सूर्य और चन्द्रमा ने उसे पहचान लिया उसके बाद भगवन विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका गाला काट दिया , स्वर भानु का सर राहु और धर केतु बना। सूर्य और चन्द्रमा से अपनी पहचान बताने का बदला लेने के लिए राहु केतु कई बार सूर्य और चन्द्रमा को निगलने की कोशिश करता है जिससे सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगता है। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार चंद्रग्रहण से ठीक पहले सूतक काल लग जाता है इस दौरान ,मूर्ति पूजा करना ,भोजन करना ,यात्रा करना ,और धार्मिक कार्य करना सब वर्जित हो जाता है।कुछ कहानियों के अनुसार चंद्र ग्रहण को अशुभ माना जाता है कहा जाता है की इस दौरान नकारात्मक शक्तियां एक्टिव हो जाती है ,खास जिससे गर्भवती महिलाओं को ग्रहण का सीधा दर्शन करने से बचने की सलाह दी जाती है।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. न्यू इंडिया न्यूज़ नेटवर्क इसकी पुष्टि नहीं करता है
7 तारीख को चाँद हो जायेगा खून की तरह लाल