ये लड़ाई जमीन की नहीं जमीर की है
गुरुग्राम, को नवीन जयहिंद किसानों के 1128 एकड़ ज़मीन अधिग्रहण मामले में 190 दिनों से अनिश्चितकालीन समय के लिए चल रहे धरने पर समर्थन देने पहुंचे | नवीन जयहिंद ने किसानों की मांगों का समार्थन करते हुए कहा कि सरकार किसानों के 2 हज़ार करोड़ रूपए खा कर बैठी है| जब किसान सरकार से पैसा लेता है तो सरकार ब्याज पर ब्याज लगा कर देती है | अब किसानों की जमीन भी हडप रही है और किसानों के पैसे भी खा गई | जमीन माँ समान होती है | जैसे आप अपनी माँ की रक्षा के लिए लड़ते है वैसे ही आपको जमीन के लिए भी लड़ना होगा |
हक़ के लिए न सरकार से डरों, न पुलिस से और न प्रशासन से डरना चाहिए
ये जमीन की नहीं जमीर की लड़ाई है | युवाओं को भी इस लड़ाई का हिस्सा बनना होगा | क्योकि युवाओं को अपने भविष्य के लिए इस जमीन की जरूरत है |
जयहिंद ने कहा कि वे किसानों के तन-मन-धन से साथ है, जिस तरीके से सरकार तानाशाही कर रही है वह बिल्कुल सही नही है वह अब नहीं चलने देंगे जमीन किसानो की है और किसानों की ही रहेगी |
सरकार आज किसी के घर -दुकान को भी विकास के नाम पर हडपना चाहती है | अगर सरकार कि गलत नीतियों के खिलाफ आवाज नहीं उठाई गई तो सरकार अपनी मनमर्जी करेगी | अपने हक़ के लिए न सरकार से डरों, न पुलिस से और न प्रशासन से डरना चाहिए |