- पानी की एक-एक बूंद के उपयोग के लिए कार्यान्वित की जा रही ट्रीटेड वेस्ट वॉटर पॉलिसी
- सिंचाई एवं जल संरक्षण विभाग ने 500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से परियोजना की तैयार
- वर्तमान में 199.24 एमएलडी ट्रीटेड पानी का कई कार्यों में किया जा रहा उपयोग
- मार्च 2025 तक 975.12 एमएलडी उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करने के लिए की गई कार्य योजना तैयार
चंडीगढ़, 18 अक्तूबर
हरियाणा में वर्तमान और भविष्य की पानी की जरूरतों की पूर्ति हेतु जल की उपलब्धता व मांग को पूरा करने के लिए मनोहर सरकार बेहद गंभीर है। इस दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने तेजी से घटते जल संसाधनों को ध्यान में रखते हुए उपचारित अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग नीति को अधिसूचित किया। इसके तहत सीवरेज के पानी को शुद्ध करके इसकी एक-एक बूंद का उपयोग थर्मल प्लांट, उद्योग, निर्माण, बागवानी और सिंचाई उद्देश्यों आदि में विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार सिंचाई एवं जल संरक्षण विभाग ने 500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत की परियोजना तैयार की है। पहले चरण में 339.50 एमएलडी की क्षमता वाले 27 एसटीपी को कवर करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, तीन एसटीपी प्लांट जिसमें लाडवा में 7 एमएलडी, पिहोवा में 8 एमएलडी, और शाहबाद में 11.50 एमलडी के लिए सीवर के शोधित पानी का सिंचाई व कृषि उद्देश्य के लिए उपयोग किया जा रहा है।
मार्च 2025 तक 975.12 एमएलडी उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करने के लिए की गई कार्य योजना तैयार
ट्रीटेड वेस्ट वाटर के प्रभावी उपयोग के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, शहरी स्थानीय निकाय, सिंचाई एवं जल संसाधन और एचएसआईआईडीसी द्वारा बनाई गई संपतियों को पूल करने के लिए एक संयुक्त रणनीति विकसित की गई है। वर्तमान में इन विभागों द्वारा 176 एसटीपी / सीईटीपी बनाए गए हैं, जो 2104.30 एमएलडी गंदे पानी का उपचार करने में सक्षम हैं, जिसमें से 1429.38 एमएलडी उत्पन्न हो रहा है। वर्तमान में 199.24 एमएलडी शोधित पानी का उपयोग अन्य कार्यों के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा, मार्च 2025 तक 975.12 (उत्पन्न ट्रीटेड वेस्ट वाटर का 56.69 प्रतिशत) एमएलडी उपचारित अपशिष्ट जल और दिसंबर 2028 तक 1100.84 एमएलडी का उपयोग करने के लिए एक कार्य योजना तैयार की गई है। हालांकि, दिसंबर, 2028 तक शोधित जल का शत-प्रतिशत उपयोग सिंचाई व अन्य कार्यों के लिए करने का लक्ष्य है।
30 बड़े गांवों में 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पेयजल आपूर्ति करवाई जा रही उपलब्ध
महाग्राम योजना के अन्तर्गत 30 बड़े गांवों में 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन तक पेयजल आपूर्ति के लिए पेयजल स्त्रोतों में बढ़ौतरी तथा इतने ही गांवों में मल निकासी सीवरेज सुविधाएं भी प्रदान करने के लिए कार्य प्रारम्भ किए गए हैं। गांव सौतई (जिला फरीदाबाद) नहारपुर (जिला गुरूग्राम), सरस्वती नगर (जिला यमुनानगर), क्योड़क, पाई (कैथल), सिवाह (पानीपत), काछवा (करनाल) व खानपुर कलां (सोनीपत) में महाग्राम योजना की परियोजना चालू कर दी गई है।
1482.70 करोड़ रुपये की लागत से 4841 नलकूप तथा 1293 बूस्टिंग स्टेशन किये गये शुरू
वर्तमान राज्य सरकार ने ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में जलापूर्ति सुनिश्चित करने पर विशेष बल दिया है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में 1482.70 करोड़ रुपये की लागत से 4841 नलकूप तथा 1293 बूस्टिंग स्टेशन शुरू किये गये हैं। इसके अलावा, ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में 525.25 करोड़ रुपये की लागत से 294 नहर आधारित तथा 247 नलकूप स्थापित किये गये है। वहीं, 26 अक्तूबर, 2014 से 10 अगस्त, 2023 के दौरान 433.60 करोड़ रुपये की लागत से 72 मल शोधन संयंत्र चालू किये गये हैं तथा 19.60 करोड रुपये की लागत से 6 मल शोधन संयंत्र सढोरा, नांगल चौधरी, टोहाना, हिसार, मंडी आदमपुर एवं सीवन के निर्माण कार्य प्रगति पर है।