उत्तरकाशी में सिल्क्यारा व डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिसमें 40 मजदूर फंसे थे, जिनकी संख्या अब 41 हो गई है.
सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने की कोशिश की जा रही है, लेकिन बचावकर्ताओं ने 18 नवंबर को कहा कि बचाव कार्य फिलहाल रोक दिया गया है. दरअसल, सुरंग में से कुछ चटकने की आवाजें आईं. इससे आसपास दहशत का माहौल भी पैदा हो गया. हाईवे और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी एनएचआईडीसीएल (NHIDCL) ने आशंका जताई कि सुरंग की छत गिर सकती हैउत्तरकाशी की यह निर्माणाधीन सुरंग महत्वाकांक्षी चारधाम प्रोजेक्ट का ही हिस्सा है, जोकि हिंदुओं के तीर्थस्थल बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री तक कनेक्टिविटी बढ़ाने की राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पहल है. सुरंग में फंसे लोगों की सलामती के लिए बाहर एक मंदिर भी स्थापित कर मंत्रोच्चारण भी किए गए.
उत्तरकाशी की सुरंग में बचाव राहत अभियान का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के उपसचिव मंगेश घिल्डियाल भी मौके पर पहुंचे. सुरंग दुर्घटना में फंसे श्रमिकों को बचाने के प्रयासों में भारतीय सेना भी पुरजोर तरीके से जुटी हुई है. मेजर नमन अरोड़ा ने कहा, “हम सुरंग के शीर्ष तक एक ट्रैक बना रहे हैं और वहां एक बिंदु तय किया है जहां से वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू होगी. ट्रैक के 19 नवंबर दोपहर तक बन जाने की उम्मीद है.
राहत बचाव कार्य में जुटी सेना की ओर से करीब 1000 से 1200 मीटर लंबा ट्रैक तैयार किया जा रहा है, जिसका काम युद्ध स्तर पर जारी है.
उधर, इस घटना के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी उत्तराखंड सरकार की ओर से प्रेस को जारी एक बयान में कहा, ”स्वास्थ्य विभाग ने सुरंग के बाहर एक इमारत में एक शिविर स्थापित किया है जहां आवश्यक दवाओं के साथ 6 बिस्तरों की व्यवस्था की गई है. सुरंग के बाहर कुल 10 एंबुलेंस भी तैनात की गई हैं. वहां डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी तैनात हैं. फंसे हुए श्रमिकों को विटामिन सी, और डी, बीकोसूल जेड, अवसाद रोधी गोलियां भी दी जा रही हैं. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पूरे हालात पर रिव्यू मीटिंंग भी की है.