विश्लेषण
हजारों मुफ्तखोरों को पेंशन काटने के बावजूद पहले से दोगुणा लाभार्थियों को पेंशन दी जा रही है
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश की कमान सम्भलते ही महसूस किया था
दिल्ली, 5 दिसंबर- एक तरफ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल पेंशन राशि बढ़ाते हुए खुद को उदारवादी साबित करने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पेंशन को लेकर ही विपक्षी दलों द्वारा कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने भारी संख्या में बुजुर्गों, दिव्यांगजनों और विधवाओं की पेंशन काट दी है। इन आरोप प्रत्योरोप की जांच करने के लिए जब हमने विश्लेषण किया तो पता चला कि सरकार ने पेंशन तो काटी है लेकिन ऐसे लोगों की जो इसके बिल्कुल भी हकदार नहीं थे। बल्कि दूसरों के हक पर डाका डालने का काम कर रहे थे। आकंड़ों को देखने के बाद यह भी पता चला कि पहले के मुकाबले वर्तमान में ज्यादा लाभार्थियों को पेंशन दी जा रही है। वर्ष 2044 में प्रदेश में लाभार्थियां की संख्या 9 लाख 94 हजार 766 थी। अब हजारों मुफ्तखोरों को पेंशन काटने के बावजूद पहले से दोगुणा लाभार्थियों को पेंशन दी जा रही है। वर्तमान में 48 लाख 2 हजार 860 लाभार्थी पेंशन ले रहे हैं । पहले दो लाख रुपये तक वार्षिक आय होन पर पेंशन योजना का लाभ दिया जाता था। वर्तमान में तीन लाख रुपये तक वार्षिक आय वाले लोगों को भी पेंशन दी जा रही है। अब आप खुद फैसला कर सकते हैं कि कौन सही है और कौन गलत।
घोषणा पत्र में तीन हजार रुपये सम्मान पेंशन राशि करने का वायदा किया था
हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर ने अपने घोषणा पत्र में तीन हजार रुपये सम्मान पेंशन राशि करने का वायदा किया था। जिसे उन्होंने पिछले दिनों करनाल में आयोजित अंत्योदय सम्मेलन में पूरा कर दिया है । पहले ही हरियाणा में वृद्धजन, दिव्यांगजन और विधवाओं को देश में सबसे ज्यादा 2750 रुपये पेंशन दी जा रही है। अब जनवरी 2024 से इन लाभार्थियों को तीन हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी। यूं तो प्रदेश में वृद्धजनों को सम्मान के रूप में दी जाने वाली पेंशन योजना कोई नई नहीं है। संयुक्त पंजाब के समय में एक अप्रैल 964 से वृद्धावस्था पेंशन योजना शुरू की गई थी। जबकि विधवा के लिए वर्ष 980-87 में और दिव्यांगजनों के लिए वर्ष 498-82 पेंशन योजना शुरू की गई थी। लेकिन उस दौरान पेंशन के रूप में तीनों ही तरह के लाभार्थियों को नाम मात्र की पेंशन दी जा रही थी। जो गुजरे इतने वषों में पेंशन | जनवरी 204 बड़ी मुश्किल से 000 रुपये हो पाई थी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश की कमान सम्भलते ही महसूस किया था कि यह राशि सम्मानजनक नहीं है। इसी वजह से मुख्यमंत्री मनोहर लाल पेंशन की राशि में लगातार इजाफा कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर ने एक दो बार नहीं बल्कि अनेक बार सम्मान पेंशन राशि में वृद्धि
प्रदेश में रहने वाले बुजुर्गों, दिव्यांगजनों और विधवाओं को किसी तरह की परेशानी न झेलनी पड़े और वे सम्मान के साथ अपना जीवन यापन कर सके। इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक दो बार नहीं बल्कि अनेक बार सम्मान पेंशन राशि में वृद्धि की। प्रदेश की बागडोर सम्भालने के बाद एक जनवरी 205 को प्रदेश में वृद्धावस्था, दिव्यांगजन और विधवा पेंशन एक हजार रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये, एक जनवरी 206 को 4400 रुपये, इसी साल एक नवंबर 206 को 600 रुपये, एक नवंबर 207 को 800 रुपये, एक जनवरी 2020 से 2250 रुपये, एक अप्रैल 2027 से 2500 रुपये, वर्ष 2022 में 2750 रुपये और अब नवंबर 2023 में 3000 रुपये पेंशन देने की घोषणा की है। वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा देश भर में सबसे ज्यादा पंशन बुजुर्गों, दिव्यांगजनों और विधवाओं को सम्मान स्वरूप दी जा रही है।
पंजाब में बुजुर्गों को 500 रुपये,75 से कम उग्र के लोगों को 750 रुपये मासिक पेंशन , उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 4000 रुपये
दिल्ली में 2500 रुपये मासिक पेंशन
पंजाब सरकार द्वारा बुजुर्गों को 500 रुपये, राजस्थान सरकार द्वारा 75 वर्ष से ज्यादा के उम्र के लोगों को 000 रुपये और 75 से कम उग्र के लोगों को 750 रुपये मासिक पेंशन दी जा रही है। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 500 रुपये, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 4000 रुपये और दिल्ली सरकार द्वारा 2500 रुपये मासिक पेंशन दी जा रही है। पड़ोसी राज्य पंजाब में विधवाओं को 500 रुपये, राजस्थान में 75 वर्ष से अधिक उम्र की विधवाओं को 500 रुपये और इससे कम उप्र की विधवाओं को 000 रुपये, हिमाचल 70 वर्ष तक की आयु की विधवा को 000 रुपये और इससे अधिक उम्र होने पर 300 रुपये मासिक पेंशन दी जा रही है । जबकि उत्तर प्रदेश में 000 रुपये और दिल्ली में 2500 रुपये मासिक पेंशन दी जा रही है। इसी तरह दिव्यांगजनों को पंजाब में 500 रुपये, राजस्थान में 750 से 500 रुपये, हिमाचल प्रदेश में 300 रुपये, उत्तरप्रदेश में ॥000 रुपये और दिल्ली में 2500 रुपये मासिक पेंशन दी जा रही है। आप खुद सोचिये वृद्धजन, दिव्यांगजन और विधवाओं को वास्तव में कौन सम्मान दे रहा है।