गाजियाबाद में प्रदूषण की वजह से समय से पहले हो रही महिलाओं की डिलीवरी
गाजियाबाद| दिल्ली एनसीआर सहित गाजियाबाद में बढ़ती ठंड और प्रदूषण अब गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए भी आफत बन चुका है. जहां एक तरफ प्रदूषण का सितम है तो वहीं दूसरी तरफ ठंड भी गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए मुसीबत खड़ी कर रही है. हालांकि गाजियाबाद के जिला महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों के लिए पर्याप्त इंतजाम ठंड को लेकर किए गए हैं लेकिन फिर भी प्रदूषण और ठंड चुनौती बन गया है.
गाजियाबाद जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सुनता तालिब के मुताबिक प्रदूषण के महिलाओं की समय से पहले डिलीवरी होने के मामले सामने आ रहे हैं. जिसे प्रीमेच्योर डिलीवरी भी कहा जाता है. यानी की 35 हफ्तों से पहले बच्चे की डिलीवरी हो जाना.
महिला अस्पताल की सीएमएस ने बताया कि ठंड को लेकर अस्पताल में पर्याप्त व्यवस्था की गई है सभी वार्डों में वार्मर हीटर और कंबलों की व्यवस्था है साथ ही ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति अस्पताल में मौजूद है. समय से पहले जो बच्चे पैदा हो रहे हैं उनके लिए भी बच्चों के वार्ड में ऑक्सीजन समेत तमाम इंतजाम किए गए हैं.
जिला महिला अस्पताल की सीनियर डॉक्टर चारू ने बताया कि नर्सरी में जो बच्चे आते हैं वह प्रीमेच्योर होते हैं जिनका जन्म 28 से 35 हफ्ते के बीच में हो जाता है जिनका वचन काफी कम होता है और शरीर के कई अंक भी काम नहीं कर रहे होते हैं जिसको लेकर उनको यहां नर्सरी में वेंटिलेटर पर रखा जाता है और उनका हर तरीके की सुविधा दी जाती है ।
वही अस्पताल की नर्सरी में भर्ती एक बच्चे की मां जो की सिरिंज के द्वारा अपने बच्चों को दूध पिला रही थी उसने यह बताया कि उसका बच्चा काफी कमजोर था जिसको लेकर वह जिला महिला अस्पताल की नर्सरी में अपने बच्चों को भर्ती कराया है वहां उसके बच्चे को काफी फायदा है ।
डॉक्टर चारू ने यह भी बताया इस प्रकार के बच्चों को अगर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करती तो 7 हजार से 10 हजार प्रतिदिन का खर्चा आता और लगभग एक बच्चे को लगभग दो माह तक के लिए नर्सरी में रखा जाता है जब तक नवजात शिशु की उसकी पूरी ग्रोथ ना हो जाए।
सीएमएस ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को ठंड और प्रदूषण से बचाव के लिए इतिहाया बरतना बेहद जरूरी है. जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकले यदि निकलना बेहद आवश्यक है तो गर्म कपड़े पहने और मास्क जरूर लगाए.