रॉबिनहूड वरशिप मनोहर लाल
दिल्ली, गुरूग्राम , हमने कुछ दिन पहले मनोहर लाल खट्टर के लट्ठ और पगड़ी वाले नए अवतार की बात की थी और जनता के बीच जाकर पता लगाया था कि इस लट्ठ का मतलब वे क्या समझते हैं। हमने सरकार और विपक्ष से भी इस पर उनकी राय जानी थी। जनता ने जहाँ मनोहर लाल के नए अवतार को ‘हरियाणवी रॉबिनहुड’ की संज्ञा दी थी तो विपक्ष ने इसे प्रचार का नया शिगूफा कहा था। कुछ लोग सीएम मनोहर लाल की तुलना रॉबिनहूड से कर रहे हैं। आपकों बता देते हैं कि रॉबिनहूड से मनोहर लाल की तुलना क्यों हो रही है। हाल में सीएम मनोहर लाल ने बाइक से गुरूग्राम का दौरा करते हुए कूड़ा देखा तो जिम्मेदार अधिकारियों का वेतन काटने और जुर्माना लगाने के आदेश दे डाले। पिछले दिनों मनोहर लाल ने हिसार के सिविल अस्पताल और पुलिस चौकी पर अचानक छापा मार दिया था। लेकिन दोनों की नीति बिल्कुल अलग है। रॉबिन की नीति अमीरों को लूटकर गरीबों को बांटने की थी।
सरकार में ईमानदारी है और काम करने का जज्बा
जबकि मनोहर लाल डिजिटल प्रणाली को बढ़ावा देकर वर्षो से पैर जमाकर बैठे चोरों के वंश वृक्ष की जड़ों में मठा डालकर ज़रूरत मंदों को उनका हक पहुँचाने का काम कर रहे हैं। हमारी पड़ताल में बड़ी संख्या में हरियाणा के लोगों का कहना था कि इस सरकार में योजनाओं का लाभ उन तक पहुँचा है और समय पर उन्हें सुविधाएं भी मिलती हैं। जनता की कुछ शिकायतें भी थी लेकिन मोटे तौर पर उनका मानना था कि इस सरकार में ईमानदारी है और काम करने का जज्बा भी है।
भूपेंद्र हुड्डा का एक बयान
सब काम के लिए पोर्टल, हम लोगों के लिए कुछ बचा ही नहीं , कांग्रेसी
इसी बीच हमें भूपेंद्र हुड्डा का एक बयान देखने को मिला जिसमें उन्होंने भाजपा की मनोहर लाल सरकार को ‘पोर्टल सरकार’ कह कर मजाक उड़ाया है। हमने सोचा कि भला ‘पोर्टल सरकार’ क्या बला है? इसके बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए तो हम जा पहुंचे कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता के पास और पूछ बैठे कि हुड्डा साहब के कहने का अर्थ क्या है? कांग्रेसी सज्जन भरे बैठे थे, उन्होंने इस सरकार की बुराई शुरू कर दी कि कि इस सरकार में काम नहीं हो रहा है, हमारी बात कोई सुन नहीं रहा। सब काम के लिए पोर्टल-पोर्टल, हम लोगों के लिए कुछ बचा ही नहीं। अच्छा, अब समझ में धीरे-धीरे आने लगा था कि ‘पोर्टल सरकार’ क्या बला है।
जब हर योजना के लिए अलग-अलग पोर्टल लॉन्च किया जा रहा था तो हम लोगों को ही अजीब लग रहा था।
हमने तय किया कि इस बार किसी भाजपा वाले से प्रश्न नहीं करूंगा क्योंकि वो तो इसका घिसा-पिटा उत्तर ही देने और अपनी सरकार की वाहवाही करेंगे। इसलिए हम पहुंचे एक वरिष्ठ अधिकारी के पास जो सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन से जुड़े हुए हैं। उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि जब हर योजना के लिए अलग-अलग पोर्टल लॉन्च किया जा रहा था तो हम लोगों को ही अजीब लग रहा था। सब सोच रहे थे कि क्या फालतू का चक्कर है। इतना काम पहले ही पड़ा हुआ था। वो क्या कम सरदर्द था जो ये एक और आ गया। अब इसको मेंटेन करो, डेटा मेंटेन करो लेकिन जैसे-जैसे हमने इस पर काम करना शुरू किया तो पता चला कि इस योजनाओं को शुरू करना कितना जरूरी था। हम जैसे ईमानदार अधिकारियों के लिए पहले नरक सी स्थिति बन गई थी क्योंकि काम हम करते थे और मलाई कोई और खाते थे। कामों का कोई लेखा-जोखा नहीं था, हिसाब-किताब नहीं था, जिम्मेवारी नहीं थी तो नेता से लेकर कुछ सरकार के लोग भी भ्रष्टाचार का खुल्लम-खुल्ला खेल करते थे। पोर्टल्स आ जाने के बाद भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है और योजनाओं का लाभ तय समय में आम जनता तक पहुँचने लगा है।
जनता को दर-दर भटकना नहीं पड़ता, किसी के हाथ-पाँव नहीं जोड़ने पड़ते
फिर हमने सरकारी योजनाओं की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ समाजसेवी से पूछा कि हमने सुना है, आज सरकारी योजनाओं की डिलीवरी के लिए पोर्टल्स का प्रयोग होने लगा था, इससे आम जनता को कुछ फायदा भी मिल रहा है या नहीं। उन्होंने कहा कि देखिये, ये तो बहुत अच्छा हो गया। जनता को दर-दर भटकना नहीं पड़ता, किसी के हाथ-पाँव नहीं जोड़ने पड़ते, किसी नेता-अधिकारी का चक्कर नहीं लगाना पड़ता। लोग घर बैठे सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने लगे हैं। हर सरकारी योजना अब आम लोगों की ऊँगली में है। अब कुछ भी करना हो तो बस लॉग-इन कीजिये और सुविधा का लाभ उठाइये। भ्रष्टाचार कम हुआ है, सो अलग। ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल रुका है, सो अलग। सरकारी नौकरियों के अपॉइंटमेंट में भी कमीशनखोरी ख़त्म हुई है, सो अलग। तो जनता की तो बल्ले-बल्ले है ही लेकिन जो लोग पुराने सिस्टम से मोटा माल कमा रहे थे, उनका सिस्टम जरूर बिगड़ गया है। आम लोगों में तो इसको लेकर नाराजगी नहीं बल्कि ख़ुशी है कि उन्हें अब घर बैठे हर सुविधा का लाभ मिल रहा है। मुख्यमंत्री आवास योजना का पोर्टल, नो लिटिगेशन पोर्टल, ओबीसी प्रमाण पत्र पोर्टल, ई-रवन्ना पोर्टल, ई- भूमि के लिए पोर्टल, बीज पोर्टल, परिवार पहचान के लिए पोर्टल, बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा के लिए पोर्टल, सरल पोर्टल, जन्म पहचान पत्र के लिए पोर्टल – ये सारे और भी कई पोर्टल्स जनता के फायदे के लिए ही हैं न!
गरीब, पिछड़ों के लिए तो यह वरदान के ही समान हुआ
अब मेरे दिमाग में मनोहर लाल खट्टर की फिर वही लट्ठ वाली छवि उभरी कि ये पोर्टल्स भी तो लट्ठ ही हैं न! भले बड़े लोगों की नाराजगी हो कि उनकी दुकान बंद हो गई लेकिन गरीब, पिछड़ों के लिए तो यह वरदान के ही समान हुआ न! एक तरफ हरियाणा के सीएम मनोहर लाल भ्रष्टïाचार खत्म करने और अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने का दावा करते हुए लगातार एक के बाद एक पोर्र्टल लॉन्च करते जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दलों द्वारा इन पोर्टलों का जमकर विरोध किया जा रहा है।
हरियाणा के युवा न केवल दुनिया भर के देशों में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्ट बनाते हैं बल्कि दुनिया भर की बैंकिंग प्रणाली को भी नियंत्रित करते हैं।
विपक्ष अभी से कह रहा है कि उनकी सरकार आने पर इन पोर्टलों को बंद कर दिया जाएगा। जहाँ आज एक ओर चाँद पर लैंडिंग भी धरती से कंट्रोल किया जा रहा है, वहां हम क्यों न हाईटैक हों ताकि आम जनता को लाभ मिले। फरीदाबाद से सटा हुआ हब है गुरुग्राम जहां बैठकर हरियाणा के युवा न केवल दुनिया भर के देशों में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्ट बनाते हैं बल्कि दुनिया भर की बैंकिंग प्रणाली को भी नियंत्रित करते हैं। अब आप ही बताएं कि जब साइबर सिटी हरियाणा में हो सकता तो हरियाणा साइबर स्टेट क्यों नहीं बन सकता। सीएम मनोहर लाल भी हरियाणा को साइबर स्टेट बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। ये पोर्टल्स भी उभरते हरियाणा की पहचान बनने लगा है। आप सरकार से असहमत हो सकते हो, उनकी योजनाओं से असहमत हो सकते हो लेकिन जो समय की जरूरत है, जिससे आम लोगों को सुविधाएं मिल रही हो, अधिकारियों और मंत्रियों की जवाबदेही तय हो रही हो, उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। ऐसा हमारी चर्चा में कई लोगों का कहना था।
नई तकनीकी यानी पोर्टल का भी आने वाले समय में आम जनता को काफी लाभ मिलने वाला है
देखिये जब भी कोई नई तकनीकी आती है तो शुरू में थोड़ी-बहुत परेशानी भी होती है और उसका विरोध भी होता है। आपको ध्यान होगा कि वर्षों पहले जब देश में कंप्यूटर आया था तो काफी विरोध हो रहा था। उस समय कहा जाता था कि कंप्यूटर के आने से बेरोजगारी बढ़ेगी जबकि आज कंप्यूटर की वजह से रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। काम की गुणवत्ता अच्छी होने लगी है। इसी तरह जब एंड्राइड मोबाइल फोन आया था तो एक काफी बड़ा वर्ग और बुजुर्ग कहते थे कि कीपैड फोन ही बेहतर है। उस समय भी जरनेशन गेप था लेकिन आज आप देख रहे होंगे कि बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर किसी के हाथों में कैमरे वाला एंड्राइड यानी टच स्क्रीन फोन नजर आता है। नई तकनीकी यानी पोर्टल का भी आने वाले समय में आम जनता को काफी लाभ मिलने वाला है। पोर्टल की वजह से उंगलियों से गिने जाने वाले सिर्फ पर्ची-खर्ची वालों को ही नुकसान होने वाला है। एक सज्जन ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश की ढाई करोड़ आबादी का फायदा देखें या फिर उंगलियों पर गिने जाने वाले पर्ची खर्ची वालों का। हां फिलहाल शुरूआती दौर में पोर्टल के कारण जनता को थोड़ी बहुत परेशानी हो रही है। लेकिन पर्ची खर्ची वाले छोटी छोटी समस्याओं को बढ़ा चढ़ा कर जनता को परेशान कर रहे हैं। लेकिन शायद उन्हें पता नहीं है कि सीएम मनोहर लाल कभी भी उन तक पहुंच सकते हैं।