- सरपंचों का मानदेय 3 से बढ़ाकर किया 5 हजार
- पंचों का भी एक हजार से बढ़ाकर किया 1600 रूपए
चंडीगढ़ , 15 मार्च
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सरपंचों से आहवान किया कि जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता के प्रति अपनी जिम्मेवारी समझें और गांव के विकास कार्य पारदर्शिता से करवाएं. उन्होंने कहा कि ई-टेंडरिंग में कोई कठिनाई आएगी तो उसको दूर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने ई-टेंडरिंग से सरपंचों के हाथ मजबूत किए हैं, इससे विकास कार्यों में पारदर्शिता आएगी और कार्य शीघ्रता से पूरे होंगे. मुख्यमंत्री ने सरपंचों की कोटेशन के आधार पर विकास कार्य की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रूपए करने की घोषणा की, साथ ही उन्होंने सरपंचों का मानदेय 3 से बढ़ाकर 5 हजार तथा पंचों का भी एक हजार से बढ़ाकर 1600 रूपए करने की घोषणा करते हुए इसको सरकारी कर्मचारियों की तर्ज पर महंगाई भत्ते के साथ जोडऩे की बात कही. भविष्य में सरपंच ग्राम सचिव की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में अपनी टिप्पणी दर्ज कर सकेंगे.
मुख्यमंत्री बुधवार को हरियाणा निवास में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे
इस अवसर पर वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी.उमाशंकर, विकास एवं पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनिल मलिक, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव एवं सूचना, लोकसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल, ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक संजय जून भी उपस्थित.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंचायतीराज संस्थानों के प्रतिनिधियों से कहा कि इस वित्त वर्ष के आखरी तिमाही के लिए आवंटित किए गए 1100 करोड़ रूपए के विकास कार्यों के प्रस्ताव 31 मार्च 2023 से पहले अपलोड कर दें. इनमें ग्राम पंचायतों को 800 करोड़, ब्लॉक समितियों को 165 करोड़ तथा जिला परिषदों को 110 करोड़ रूपए आवंटित किए गए थे.
उन्होंने बताया कि अब तक 6217 पंचायतों में से 5048 पंचायतों ने विकास कार्यों के प्रस्ताव पारित कर दिए हैं. उन्होंनें बताया कि 2 लाख से कम राशि के 9418 कार्यों के प्रस्ताव मिल चुके हैं, जबकि 2 लाख से अधिक राशि के 1044 कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति उपरांत अपलोड किए जा चुके हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास कार्यों की सोशल-ऑडिट के लिए ग्राम स्तर पर मौजिज लोगों की एक कमेटी बनाई जाएगी जो गांव में होने वाले विकास कार्यों पर नजर रखेगी. विकास एवं पंचायत विभाग के लिए अलग से इंजीनियरिंग विंग भी गठित की जाएगी. विकास कार्यों की गुणवत्ता जांचने के लिए 6 माह में सोशल ऑडिट सिस्टम स्थापित किया जाएगा. इसके अलावा ‘गुणवत्ता आश्वासन प्राधिकरण’ की स्थापना की जा रही है.
उन्होंने कहा कि विकास कार्य हरियाणा शैड्यूल रेट तथा डीसी रेट के अनुसार किए जाते हैं, अगर कोई सरपंच डीसी रेट से कम रेट में कार्य करवाना चाहता है तो उसकी सूचना खंड एवं विकास अधिकारी कार्यालय के बाहर चस्पा करनी होगी.
बड़ी पंचायतें एक वित्तीय वर्ष में कुल 25 लाख रुपये तक की राशि के या राज्य वित्त आयोग के कुल अनुदान राशि के 50 प्रतिशत तक, जो भी कम हो, के कार्य कोटेशन पर करवाए जा सकेंगे. ई-निविदा के माध्यम से करवाए जाने वाले विकास कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी कर्मचारी जिम्मेदार होंगे. सरपंच द्वारा करवाए गए विकास कार्यों में गुणवत्ता सुनिश्चित करने की पूर्ण जिम्मेदारी सरपंच की होगी. उन्होंने बताया कि बिजली के बिलों पर लगाया जा रहा पंचायत कर बकाया राशि सहित 1 अप्रैल,2023 से पंचायतों को दे दिया जाएगा. इसमें से पंचायतों के लंबित बिजली बिल की कटौती करके हर तिमाही में भुगतान किया जायेगा. उन्होंने बताया कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में संपत्ति की बिक्री पर 1 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क की राशि ग्राम पंचायत को दी जाएगी.
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि जिन पूर्व सरपंचों ने अपना रिकार्ड वर्तमान सरपंच को सुपूर्द नहीं किया है वे इससे तुरंत सौंप दे. उन्होंने बताया कि पंचायतों के पिछले कार्यकाल के 1100 सरपंचों के खिलाफ जांच चल रही है.
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि खेत-खलिहानों के चार करम से कम चौड़े रास्ते जिला परिषदों के माध्यम से पक्के करवाए जाएंगे. जिला परिषद को हरियाणा राज्य कृषि विपण बोर्ड की सडक़ों की मरम्मत का कार्य भी सौंपा जाएगा. इसके अलावा, स्वच्छता अभियान के तहत गांवों घर-घर से कुड़ा उठवा कर डिस्पोज करने, स्ट्रीट लाईट, मिड-डे मिल, बस क्यू शैल्टर जैसे कार्य भी दिए जाएंगे.