हुलास पांडे ने ब्रह्मेश्वर मुखिया को मारी थी गोली, CBI की चार्जशीट में बड़ा दावा; यहां पढ़ें कैसे रची गई थी हत्या की पूरी साजिश.
आरा 11 जनवरी 2024| आरा बहुचर्चित ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में सीबीआई द्वारा पहले आरा कोर्ट में पूरक आरोप पत्र, फिर डायरी एवं दस्तावेज सौंपे जाने के बाद पूर्व विधान पार्षद हुलास पांडेय समेत आठ आरोपितों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
सीबीआई ने लगभग 168 पेज की डायरी सनेत 500 पन्नों के दस्तावेज कोर्ट में सौंपे हैं। इस मामले में एक फरवरी को अगली सुनवाई होनी है। इस पर सबकी नजरें गड़ी हैं। दस वर्षों बाद सीबीआई की पूरक चार्जशीट एवं भोजपुर पुलिस की ओर से घटना के कुछ माह बाद बाद दाखिल चार्जशीट में हमलावरों की संख्या एक समान आठ है।
बड़ा अंतर यह है कि इनमें चार नाम समान एवं चार अलग हैं। इन्हीं अलग नामों में एक पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय हैं, जिन पर ब्रह्ममेश्वर मुखिया को छह गोलियां मारने का आरोप है।
माना जा रहा है कि डायरी समर्पित होने से कोर्ट को केस की सुनवाई तथा आगे की कार्रवाई में आसानी होगी। यह भांप आरोपित पटना से दिल्ली तक की दौड़ लगाना शुरू कर दिए हैं।
दस साल तक चली जांच
करीब 10 साल की लंबी जांच के बाद सीबीआई ने पिछले साल दिसंबर में आरा के तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायालय सह विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था. जिसमें पूर्व एमएलसी हुलास पांडे समेत आठ लोगों को आरोपित किया गया है.
अन्य आरोपियों में नंद गोपाल पांडे उर्फ फौजी, अभय पांडे, रितेश कुमार उर्फ मोनू, प्रिंस पांडे, अमितेश कुमार पांडे उर्फ गुड्डु पांडे, बालेश्वर राय और मनोज राय उर्फ मनोज पांडे के नाम शामिल हैं.
एक जून 2012 की सुबह नवादा थाना क्षेत्र के कतीरा-स्टेशन रोड में अपने आवास के सामने टहल रहे रणवीर सेना के प्रमुख के तौर पर चर्चित ब्रह्मेश्वर सिंह उर्फ बरमेश्वर मुखिया की गोली मार हत्या कर दी गई थी। तब भोजपुर एवं पटना सहित अन्य जिलों में जमकर उपद्रव मचा था।
हत्या को लेकर उनके पुत्र इंदुभूषण ने अज्ञात लोगों पर प्राथमिकी कराई थी। शुरुआत में भोजपुर पुलिस ने एसआइटी गठित कर जांच शुरू की। बाद में राजनीतिक दबाव में केस सीबीआई को सौंप दिया गया था। 13 जुलाई 2013 में सीबीआई ने केस अपने हाथ में लिया था।
सीबीआई की रिपोर्ट में हत्याकांड की पूरी कहानी बताई
सीबीआई ने चार्जशीट व डायरी में राजनीतिक षड्यंत्र के तहत रणवीर सेना प्रमुख रहे ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या का आरोप लगाया है। जांच रिपोर्ट में पूरी कहानी बताई गई है। यह दावा किया गया है कि एक जून 2012 की सुबह चार बजे सभी आरोपित एक-दूसरे से जुड़े हुए थे।
अमितेश कुमार पांडे उर्फ गुड्डु पांडे एवं प्रिंस पांडेय कतीरा मोड़ के पास थे। हुलास पांडेय व बालेश्वर राय स्कार्पियो में थे। मनोज राय गाड़ी चला रहे थे। जबकि, अभय पांडे, नंद गोपाल पांडे उर्फ फौजी, रितेश कुमार मोनू, अमितेश कुमार पांडे उर्फ गुड्डु पांडे और प्रिंस पांडेय पैदल थे।
ब्रह्मेश्वर सिंह मुखिया को उनके घर के पास टहलते देखा तो मनोज राय उर्फ मनोज पांडेय ने पहले उन्हें स्कॉर्पियो में बुलाया, फिर उनको स्कॉर्पियो की मध्य सीट पर बैठाया गया। हुलास पांडे व बालेश्वर राय भी सीट पर बैठे थे।
विवाद हुआ, तो नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी एवं अभय पांडे ने ब्रह्मेश्वर मुखिया के दोनों हाथ पकड़ लिए और हुलास पांडेय ने अपनी पिस्तौल से मुखिया पर छह राउंड फायर किए। जिससे उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया।