Saturday, September 21, 2024

गोरखपुर समाचार: यह गंदा है लेकिन यह एक व्यवसाय है – रोगी माफिया के सहयोगी अस्पताल वसुंधरा को भी सील कर दिया गया है।

गोरखपुर समाचार: यह गंदा है लेकिन यह एक व्यवसाय है – रोगी माफिया के सहयोगी अस्पताल वसुंधरा को भी सील कर दिया गया है।

गोरखपुर 19 फ़रवरी 2024| गोरखपुर जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से संयुक्त कार्रवाई की गई। ईशू अस्पताल के कर्मचारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ में वसुंधरा अस्पताल की भी मिली साझेदारी। अस्पताल को भी सीज कर आठ आरोपियों को किया गया गिरफ्तार।

गोरखपुर में मरीजों की खरीद-फरोख्त करने के मामले में ईशु के बाद अब वसुंधरा अस्पताल को भी सील कर दिया गया है। पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को पता चला कि मरीजों की खरीद-फरोख्त में यह अस्पताल भी शामिल था। इसके बाद सीएमओ ने अस्पताल को सील कराकर जांच शुरू कर दी है।

वहीं दूसरी ओर पुलिस ने मेडिकल कॉलेजों से निजी अस्पतालों में मरीजों को बेचने वाले मरीज-एम्बुलेंस माफिया गिरोह का पर्दाफाश करते हुए आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इसमें दो नर्सिंग होम के संचालक, एमबीबीएस की डिग्री का दुरुपयोग करने वाले डॉ. रंजय प्रताप सिंह और मेडिकल कॉलेज के आउटसोर्सिंग कर्मचारी शामिल हैं।

ये सभी मरीज के इमरजेंसी में आने के बाद मेडिकल कॉलेज में आईसीयू खाली न होने, सुविधाएं नहीं मिलने और कई बार बेड ही खाली न होने की दलील देकर नर्सिंग होम के दलालों को बेच दिया करते थे। जैसे ही अटेंडेंट तैयार होता, चिकित्साकर्मी एंबुलेंस को बुला लेते और फिर मरीज को सीधे पैडलेगंज स्थित ईशु नर्सिंग होम और वसुंधरा नर्सिंग होम ले जाया जाता।

इसके बदले एंबुलेंस संचालकों को 10 से 25 हजार रुपये मिल जाते थे। ऑपरेशन वाले मरीज के तीमारदारों से 25 हजार और अन्य के दस हजार रुपये तय थे। इसका नकद में भुगतान होता था। कई बार ऑनलाइन भुगतान भी किया जाता था। रविवार को डीएम कृष्णा करुणेश, एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर, एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने पुलिस लाइन में प्रेसवार्ता कर पकड़े गए गिरोह के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि मेडिकल कर्मी, एंबुलेंस और नर्सिंग होम के दलालों का एक गिरोह मरीज के खरीद-फरोख्त में सक्रिय है। मरीजों को सरकारी एंबुलेंस से बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में लाया जाता है। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी के आसपास पहले से सक्रिय दलाल और मेडिकल कॉलेज के कुछ कर्मी मौजूद रहते हैं। जैसे ही मरीज एंबुलेंस से उतरता है, उसके परिजनों को दलाल घेर लेते हैं।

जब तक परिजनों में से कोई एक पर्चा बनवाकर इमरजेंसी में मरीज के पास पहुंचता है, तब तक ये दलाल मरीज व उसके परिजनों को भय दिखाकर अपने झांसे में लेने की कोशिश कर रहे होते हैं। वे उन्हें प्रतिष्ठित अस्पतालों का झांसा देते हैं। मरीज व उसके परिजनों को झांसे में लेने के बाद ये दलाल वहीं मेडिकल परिसर के आसपास मौजूद निजी एंबुलेंस गैंग के सरगना को सूचित करते हैं।

निजी एंबुलेंस गैंग का सरगना ड्राइवर व अन्य कर्मियों को इमरजेंसी के पास एंबुलेंस लेकर भेजता है। यहां से वे एंबुलेंस की मदद से मरीज को बीआरडी मेडिकल कॉलेज से अन्यत्र अस्पतालों की तरफ लेकर चले जाते हैं। इसके बदले में इन्हें प्राइवेट अस्पताल से कमीशन मिल जाता है।

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