कहानी शातिर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की: बुलंदी पाने को दाउद के भाई को दबोचा, अंडरवर्ल्ड से नाता; अब सलाखों के पीछे
मुंबई 21 मार्च 2024| खतरनाक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा आज सलाखों के पीछे हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने लोअर अदालत को उनके निर्णय के लिए फटकार लगाई। प्रदीप शर्मा को दोषी पाया। इसके बाद सजा सुनाई। बुलंदी पाने को उन्होंने दाउद के भाई को दबोचा था। इसके बाद अंडरवर्ल्ड से नाता से उनका नाता गहरा हो गया।
महाराष्ट्र में मुंबई पुलिस में पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से चर्चित प्रदीप शर्मा का आगरा से भी नाता रहा है। परिवार के लोग हरीपर्वत स्थित लता कुंज कॉलोनी में रहते थे। वह अक्सर परिजन से मिलने के लिए यहां आया करते थे। वर्ष 2019 में नौकरी छोड़कर महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव भी लड़ा। मगर, हार का सामना करना पड़ा। उनको सजा की जानकारी पर लोग हतप्रभ हो गए।
प्रदीप शर्मा का जन्म आगरा में हुआ था। उनकी दो बेटियां हैं. पिता महाराष्ट्र के धुले में एक डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर थे। प्रदीप शर्मा ने वहीं पर एमएससी किया था। वर्ष 1983 में महाराष्ट्र पुलिस के उप निरीक्षक बने थे। 25 साल के कॅरिअर में 300 से अधिक एनकाउंटर करने वाली टीम में शामिल होने की वजह से वह काफी चर्चा में आ गए थे। उन्होंने दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कासकर को भी गिरफ्तार किया था।
बर्खास्तगी के बाद बहाली
अगस्त 2008 को महाराष्ट्र सरकार ने अंडरवर्ल्ड सहित अपराधियों के साथ संलिप्तता और संपर्क के कारण प्रदीप शर्मा को बर्खास्त कर दिया था। उनके कई अपराधियों से संपर्क के सबूत मिले थे। मगर, उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था। उन्होंने छोटा राजन गिरोह पर उन्हें फंसाने का आरोप लगाया था। वर्ष 2009 में राज्य न्याय न्यायाधिकरण ने आरोपों को खारिज करते हुए बहाल करने के आदेश दिए थे।
इस पर उन्हें पुन: नौकरी मिल मिल गई थी। प्रदीप शर्मा वर्ष 2010 में राजन गैंग के सदस्य राम नारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया के फर्जी मुठभेड़ केस में नवंबर 2006 में गिरफ्तार किए गए थे। जेल में चार वर्ष बिताने के बाद उन्हें वर्ष 2013 में बरी कर दिया गया था। वर्ष 2017 में उन्हें बहाली मिल गई थी। जुलाई 2019 में पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने शिवसेना जॉइन कर ली थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाई सजा
उन्होंने नालासोपारा से विधानसभा चुनाव लड़ा था। इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2021 में उनको फिर से एनआईए ने गिरफ्तार किया। उनका नाम एंटीलिया विस्फोटक कांड और मनसुख हिरेन हत्याकांड में सामने आया था। राम नारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया के केस में अभियोजन पक्ष और मृतक के भाई की अपील पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी करने के आदेश को पलटते हुए सजा सुनाई।
डी कंपनी पर कसा था शिकंजा
वर्ष 1999 में छोटा राजन के सहयोगी विनोद मातकर पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। तब भी एनकाउंटर में प्रदीप शर्मा की टीम रही थी। छोटा राजन ने विनोद के गैंग का चयन पाकिस्तान में बैठे दाऊद इब्राहिम को खत्म करने के लिए किया था। प्रदीप शर्मा की टीम का नाम कई आतंकियों को मार गिराने में भी आया था।