अरविंद केजरीवाल जाएंगे जेल या मिलेगी जमानत, दिल्ली सीएम के लिए क्या बचा है ‘आखिरी विकल्प’? पढ़ें कानूनी विशेषज्ञ क्या कहते हैं
नई दिल्ली 23 मार्च 2024। शराब घोटाले मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद राजधानी में सियासी उबाल आ गया है। केजरीवाल को बीते दिन कोर्ट में पेशी के बाद 28 मार्च तक ईडी की रिमांड में भेज दिया गया है। केजरीवाल से अब ईडी मामले में पूछताछ करेगी।
एक तरफ बीजेपी केजरीवाल को इस घोटाले का सरगना बता रही है तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी बीजेपी पर ईडी के जरिए साजिश रचने का आरोप लगा रही है. अब इस मामले को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या केजरीवाल को जमानत मिलेगी या वह जेल जाएंगे.
केजरीवाल अब क्या कानूनी रास्ता अपना सकते हैं और क्या वो जमानत अर्जी दाखिल कर भी सकते हैं या नहीं। आइए, वकील की जुबावी जानें केजरीवाल के पास क्या विकल्प हैं।
दिल्ली के विभिन्न न्यायलयों में प्रैक्टिस कर रहे वरिष्ठ वकील मनीष भदौरिया ने बताया कि केजरीवाल के पास अब क्या-क्या कानूनी विकल्प हैं।
अधिकतम 14 दिन तक रिमांड का प्रावधान
छह दिन की हिरासत के बाद अगर ईडी को अभी भी लगता है कि केजरीवाल की और रिमांड की जरूरत है तो वह कोर्ट से कुछ और दिनों की रिमांड मांग सकती है|
इस बीच अगर आरोपी पूछताछ के दौरान किसी अन्य व्यक्ति के बारे में जानकारी देता है, जो इसमें शामिल हो, तो इस स्थिति में जांच एजेंसी को रिमांड मिल जाती है। हालांकि, 14 दिन से ज्यादा की रिमांड लेने का प्रावधान नहीं है।
ईडी कस्टडी खत्म होने के बाद आरोपी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है।
14 दिनों की न्यायिक हिरासत का प्रावधान इसलिए है कि आरोपी 14 दिनों के बाद जज के पास बता सके वो उसे जेल में किसी तरह की कोई परेशानी तो नहीं है। अगर कोई परेशानी है तो कोर्ट जेल प्रशासन को इसपर आदेश जारी करता है।
अभी कोई याचिका नहीं लगा सकते केजरीवाल
चूंकि, फिलहाल केजरीवाल छह दिनों के लिए ईडी की हिरासत में हैं, इसलिए वह कोई याचिका दायर नहीं कर सकते. जैसे जमानत याचिका या किसी भी तरह की याचिका| हालांकि, अगर इस दौरान अगर केजरीवाल के साथ कोई दुर्घटना या घर में किसी तरह की इमरजेंसी या परिवार के सदस्य के साथ कोई घटना घटती है तो इस स्थिति में याचिका लगाई जा सकती है।
केजरीवाल को इस तरह मिल सकती है बेल
ईडी की कस्टडी खत्म होने के बाद ही केजरीवाल बेल याचिका लगा सकते हैं। इस दौरान जज के विवेक पर निर्भर करता है कि वो बेल मंजूर करते हैं या खारिज।
बहस के दौरान आरोपी के वकील ये दलील दे सकते हैं कि पूछताछ में सारी जानकारी जांच एजेंसी को दे दी गई हैइसलिए मेरे मुवक्किल को जमानत दी जाए.
वहीं, जांच एजेंसी यह कहकर जमानत का विरोध कर सकती है कि आरोपी बड़ा आदमी है और जेल से बाहर रहने पर वह गवाहों और तथ्यों को प्रभावित कर सकता है। तो ऐसे स्थिति में बेल खारिज की जा सकती है, जैसा कि मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और के कविता के मामले में हुआ है।
कब लगा सकते हैं जमानत की अर्जी?
ईडी द्वारा रिमांड पर लिए जाने के बाद आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजने का प्रावधान होता है। इसके बाद ही आरोपी जमानत अर्जी दाखिल कर सकता है। अर्थात किसी की रिमांड के दौरान जमानत अर्जी पर सुनवाई नहीं होता है बल्कि न्यायिक हिरासत के दौरान ही इसपर सुनवाई होती