दक्षिण के दंगल में BJP का ‘सिंघम’, IPS से इस्तीफा देकर राजनीति में की एंट्री; मोदी-शाह भी कर चुके हैं तारीफ
नई दिल्ली 29 मार्च 2024। के. अन्नामलाई की महंगी फ्रेंच घड़ी को लेकर सवाल उठाने वालों की कमी नहीं है, पर उनके विरोधी भी मानेंगे कि उनकी टाइमिंग शानदार है। एक सिंघम शैली के पुलिस अधिकारी से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद सिपाही बनने तक का उनका सफर उल्लेखनीय है।
तमिलनाडु में वह भाजपा का चेहरा भी हैं, उम्मीदें भी और भविष्य का भरोसा भी। उनकी लड़ाई केवल कोयंबटूर में भाजपा प्रत्याशी के रूप में ही नहीं है, बल्कि उनके सामने असली चुनौती तमिलनाडु में बीजेपी का उदय सुनिश्चित करना है|
अन्नामलाई पर सारा दारोमदार
अगर राज्य में भाजपा ने अपनी अपेक्षाएं और लक्ष्य पूरे करने के साथ ही अपने प्रदर्शन से चौंकाया तो अन्नामलाई को इसका श्रेय तो जाएगा ही, वह और बड़े कद के साथ लोगों के सामने आएंगे। यह उस राजनेता के लिए बड़ी बात होगी, जो अगस्त 2020 में ही भाजपा में आया और एक वर्ष में राज्य इकाई का प्रमुख बना। उनमें छिपी संभावनाओं और उन्हें सही समय पर पहचाने जाने का भी यह प्रमाण होगा।
अन्नामलाई की राजनीति आक्रामक है। पहले उनके हमले तमिलनाडु में सत्ताधारी द्रमुक की ओर थे और फिर समय तथा परिस्थितियां बदलने के साथ निशाना कुछ अवसरों पर सहयोगी एआइएडीएमके की ओर मुड़ गया। इस राजनीति ने उन्हें प्रशंसक दिए और भाजपा को एक ऐसे राज्य में आधार जहां द्रविडियन विचारधारा हावी रही है और दक्षिणपंथी सोच का स्थान सीमित रहा है। माना जा रहा है कि 19 अप्रैल को पूरे राज्य में एक साथ मतदान के साथ ही यह स्थिति बदलने वाली है।
कर्नाटक में आइपीएस अफसर के रूप में अपने मिजाज तथा कार्यशैली से अन्नामलाई युवाओं के चहेते पहले ही बन चुके थे। राजनीति में वह हमलावर तेवरों, आत्मविश्वास के साथ हावी होने वाली शारीरिक भाषा, तीखे-बुद्धिमत्तापूर्ण जवाबों के साथ कहीं बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करने में सफल हैं। उनके साथ एक सबसे बड़ा लाभ यह भी जुड़ा है कि पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को उन पर पूरा भरोसा है। सनातन संस्कृति के प्रति जबरदस्त आग्रह के बावजूद उन्होंने शायद ही कभी अल्पसंख्यक विरोधी कोई बात कही हो। दिलचस्प बात यह है कि वह कई जाने-माने अल्पसंख्यक चेहरों को पार्टी में लाने में सफल रहे। इनमें प्रमुख नाम रेसर अलीशा अब्दुल्ला का है।
द्रमुक की तगड़ी घेरेबंदी
अपनी अन्नामलाई ने तमिलनाडु की राजनीति को द्रमुक पर अपने हमलों के जरिये सबसे अधिक झकझोरा है। द्रमुक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को लेकर उनकी ओर से जारी की गई डीएमके फाइल्स का असर इस कदर हुआ कि स्टालिन की पार्टी के पसीने छूट गए।कई अन्य सामाजिक और सार्वजनिक मुद्दों को अपनी पूरी ताकत से उठाकर, अन्नामलाई ने द्रमुक की रातों की नींद उड़ा दी और द्रमुक विरोधी वर्ग के बीच अपनी पहुंच बढ़ा दी।
विपक्षी दल एआइएडीएमके, पर विरोध का चेहरा अन्नामलाई
तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल भले ही एआईएडीएमके हो, पर विरोध का चेहरा अन्नामलाई ही हैं। उनकी पदयात्रा भाजपा को तीसरी शक्ति केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक हो सकती है। कई विश्लेषक भाजपा के लिए इस राज्य में 10 से 18 प्रतिशत मतों की भविष्यवाणी कर रहे हैं और अगर ऐसा हुआ तो इसकी हलचल देर तक सुनाई देगी- कम से कम 2026 के विधानसभा चुनावों तक तो जरूर।
आइपीएस की जिम्मेदारी से राजनीति के क्षेत्र तक
अन्नामलाई वर्तमान में तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर आइपीएस बने। वह 2013 में कर्नाटक पुलिस में एएसपी के रूप में नियुक्त हुए। इसके बाद उन्होंने चिकमंगलुरु में पुलिस अधीक्षक (एसपी) का पदभार संभाला। 2019 में अन्नामलाई ने अपनी सेवा से त्याग पत्र दे दिया। तीन वर्ष में बीजेपी को जीत का दावेदार बना दिया है।