जयराम रमेश ने कहा कि झारखंड में, कोयला खदानें कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनियों द्वारा संचालित की जाती हैं जिन पर राज्य सरकार का भारी पैसा बकाया है। उन्होंने कहा, “भूमि मुआवज़े के 1,01,142 करोड़ रुपये, संयुक्त हित के तहत 32,000 करोड़ रुपये और धुले हुए कोयले की रॉयल्टी के 2,500 करोड़ रुपये का बकाया है। हालांकि विपक्ष शासित राज्यों में भाजपा के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है, लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”
जयराम रमेश ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केंद्र को झारखंड में आठ लाख पात्र लाभार्थियों को आवास देना बाकी है। उन्होंने कहा, “2021-2022 में, योजना के पोर्टल पर 10 लाख से अधिक लाभार्थियों की सूची होने के बावजूद, केवल 4 लाख घरों को ही मंजूरी दी गई। हाल ही में, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा लगभग दो लाख लाभार्थियों को मनमाने ढंग से सूची से हटा दिया गया था। वे आठ लाख घर कहां हैं जिनके झारखंड के लोग हक़दार हैं?”
कांग्रेस महासचिव ने कहा, “पलामू में मंडल बांध परियोजना एक और चुनावी वादा है जिसे चुनाव के बाद प्रधानमंत्री मोदी भूल गए।” उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री ने बड़ी धूमधाम से इस परियोजना का शिलान्यास किया था। जयराम रमेश ने लिखा, “पांच साल बाद भी यह परियोजना रुकी हुई है। झारखंड और बिहार में कृषि संकट को दूर करने के लिए संकल्पित यह परियोजना वर्षों से लटकी हुई है। सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है, जबकि राज्य को हाल के वर्षों में लगातार सूखे का सामना करना पड़ा है।” उन्होंने कहा कि बांध का काम इसलिए बाधित हो गया है,
क्योंकि भाजपा ने विस्थापित परिवारों की मांगों को पूरा करने से इनकार कर दिया है और मुआवजे़ की समस्या को हल करने में विफल रही है। कांग्रेस महासचिव ने कहा, अतिरिक्त मुआवज़े के वादे के बावजूद, परियोजना निष्क्रिय पड़ी हुई है। ऐसी स्थिति में महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए भाजपा सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठ रहे हैं।” उन्होंने पूछा, “क्या प्रधानमंत्री यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ कर रहे हैं कि इस महत्वपूर्ण परियोजना को आगे बढ़ाया जाए? झारखंड को सूखे से निजात दिलाने के लिए उनके पास क्या विज़न है?” जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री से इन मुद्दों पर “चुप्पी” तोड़ने के लिए कहा।