बिहार में आजकल पुल गिरने का प्रचलन जोरों पर है ! इस शनिवार सुबह अचानक पुल का एक पाया धंसने लगा और देखते ही देखते पुल नहर में समा गया.
जिसके वजह से दो गांव के बीच आवागमन बाधित हो गया है! चार दिन के अंदर दूसरा पुल भरभरा कर गिर गया। सीवान के महाराजगंज अनुमंडल के पटेढ़ा और गरौली गांव के बीच गंडक नहर पर पुल अचानक गिर गया जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। लोग पुल के निर्माण कार्य पर सवाल उठाना शुरू कर दिए !
वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि अभी से 30 साल पहले इस पुल का निर्माण हुआ था और कुछ दिन ही दिन पहले सफाई विभाग ने नहर की सफाई भी करवाई थी और साथ ही नहर की मिट्टी काटकर नहर के बांध पर फेंक दी गई थी। ग्रामीणों का दावा करते हुए यह कहा है कि इसी कारण पुल का पाया कमजोर हो गया और टूट गया, जिससे पुल नहर में गिर गया। घटना के बाद प्रशासन ने जांच टीम का गठन किया है।
वहीं पुल हादसे के बाद वहां पर दोनों ओर से दोनों गांव के लोग इकट्ठे हुए । ग्रामीणों ने बताया कि कुछ दिन पहले नहर की सफाई की गई थी, जिसमें यहां से मिट्टी काटकर नहर के बांध में फेंकी गई थी। इस से पुल का पिलर काफी कमजोर हो गया और ओवरलोड होने के वजह से यह घटना हुई है। बताया जा रहा है कि 30 फीट चौड़ा और 30 साल पुराना था यह पुल ! ग्रामीणों का यह भी कहना है कि पुल टूटने के बाद भी अभी तक कोई विभाग के लोग जायजा लेने नहीं पहुंचे हैं। इसके टूट जाने की वजह से काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है और दुःख इस बात का भी है कि बच्चे स्कूल नहीं जा पाएंगे और एक गांव से दूसरे गांव में आने जाने के लिए यही एक पुलिया ही सहारा था। जानकारी के मुताबिक़ 18 जून को अररिया जिले सिकटी प्रखंड में बकरा नदी पर बना पुल उद्घाटन से पहले ही पुल ध्वस्त हो गया था। 182 मीटर का पुल कुल तीन हिस्सों में बना था। दो पाए के साथ दो हिस्सा नदी में समा गया। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क निर्माण योजना के तहत बने इस पुल की लागत 7.79 करोड़ रुपये थी। 182 मीटर लंबे इस पुल का निर्माण 2021 में शुरू हुआ था। शुरुआती दौर में यह 7 करोड़ 80 लाख की लागत का था, लेकिन बाद में नदी की धारा बदलने और एप्रोच सड़क को लेकर कुल 12 करोड़ की लागत का हो गया था। अब सवाल यह उठता है कि बिहार में लगातार पुलों का ध्वस्त होना आखिर कबतक चलेगा ?सरकार आखिर कबतक संज्ञान लेगी ?