सरकार ने एग्रीकल्चर और उससे जुड़े सेक्टरों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए दिए। पिछले साल 1.25 लाख करोड़ रुपए दिए गए थे। यानी इस बार किसानों के लिए बजट 21.6% यानी 27 हजार करोड़ रुपए बढ़ाया गया।
हालांकि किसानों की लगातार मांग के बाद भी मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी, MSP को लेकर बजट में कोई घोषणा नहीं हुई। वहीं किसान सम्मान निधि की राशि भी नहीं बढ़ाई गई, ये 6,000 रुपए ही रहेगी।
एग्रीकल्चर बजट से जुड़ी बड़ी बातें –
1. एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए तैयार किया जाएगा
अगले दो सालों में देश भर में 1 करोड़ किसानों को सर्टिफिकेशन और ब्रांडिंग के जरिए नेचुरल फार्मिंग से जोड़ा जाएगा और इसकी शुरुआत कराई जाएगी। ग्राम पंचायत और साइंटिफिक इंस्टीट्यूशन के जरिए इसका इंप्लीमेंटेशन किया जाएगा। 10,000 नीड-बेस्ड बायो-इनपुट सेंटर्स स्थापित किए जाएंगे।
किसानों की मदद के लिए 5 राज्यों में नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे। नाबार्ड के जरिए किसानों को मदद दी जाएगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत करने पर काम होगा। किसान की पैदावार को मौसम के असर से बचाने पर काम किया जाएगा। सरकार ने बताया कि 32 फसलों की 109 नई किस्में लाई जाएंगी, जो मौसम के अनुकूल होंगी।
क्या है MSP या मिनिमम सपोर्ट प्राइस
MSP वो गारंटीड मूल्य है, जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है, भले ही बाजार में उस फसल की कीमत कम हो। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का असर किसानों पर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।
सरकार हर सीजन से पहले CACP यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेज की सिफारिश पर MSP तय करती है। यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है, तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती हैं, तब MSP उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइस का काम करती है।
2. MSP पर कोई घोषणा नहीं
बजट में किसानों की सबसे बड़ी मांग MSP को लेकर कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने एक महीने पहले लगभग सभी मुख्य फसलों पर बढ़ी हुई MSP की घोषणा की थी। साथ ही किसानों को मिलने वाली सम्मान निधि में भी इजाफा नहीं किया गया।
3. दलहन और तिलहन में किसानों को आत्मनिर्भर बनाएंगे
दलहन और तिलहन में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इनके प्रोडक्शन, स्टोरेज और मार्केटिंग को मजबूत करेंगे। अंतरिम बजट में की गई घोषणा के अनुसार सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए स्ट्रेटेजी बनाई जाएगी।
4. सब्जियों की सप्लाई चेन को मजबूत करेंगे
सब्जियों की सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए फार्मर-प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन, सहकारी समितियों और स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देंगे। इनके कलेक्शन, स्टोरेज और मार्केटिंग पर फोकस करेंगे। राज्यों के साथ पार्टनरशिप के तहत सरकार 3 सालों में किसानों और उनकी भूमि को कवर करने के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) बनाने पर काम करेंगे।
5. करोड़ किसानों और उनकी जमीन की डिटेल्स को किसान और लैंड रजिस्ट्री में लाया जाएगा। इसके अलावा झींगा उत्पादन करने वालों की मदद के लिए सरकार ब्रीडिंग सेंटरों का नेटवर्क बनाने के लिए फाइनेंशियल सपोर्ट देगी। उनकी फार्मिंग, प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट के लिए NABARD के जरिए फाइनेंसिंग सुविधा दी जाएगी।
6 नेशनल कोऑपरेशन पॉलिसी लाएगी सरकार
सरकार कोऑपरेटिव सेक्टर के विकास के लिए नेशनल कोऑपरेशन पॉलिसी लाएगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करना, इस पॉलिसी का टारगेट होगा।