Sunday, September 22, 2024

भिवानी में साई सेंटर 1985 में स्थापित हुआ था,मुक्केबाजी में पहला ओलंपिक मेडल यहीं से आया और 10 ओलंपिक खिलाड़ी भी यहीं से निकले हैं, 400 से ज्यादा इंटरनेशनल मेडल यहीं के खिलाड़ी लाये हैं

भिवानी

साई भिवानी से बॉक्सिंग ट्रांसफर करने का लेटर आया है,जिसके बाद खिलाड़ियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. ये एक राज्य के खिलाड़ियों के लिए न सही लेकिन देश के भविष्य, देश की मेडल टैली के लिए बिल्कुल सही नहीं कहा जा सकता है.

भारतीय खेल प्राधिकरण की प्रवक्ता ने बताया कि- साई से खेल को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया था, इस बाबत लेटर भी जारी कर दिया गया. अब प्राधिकरण ने इसे रोक दिया है लेकिन इस पर रिव्यू लिया जाएगा फिर निर्णय बताया जाएगा. यानी फिलहाल होल्ड कर दिया है.

गांव-देहात के किसान,मजदूर परिवारों के बालक यहां शहर तक बॉक्सिंग करने आते हैं. एक समय का किराया-भाड़ा, डाइट और किट के खर्च तक जुटाना भी जिनके लिए बेहद मुश्किल रहता है,फिर खूब पसीना बहाकर यहीं खिलाड़ी मेडल लाते हैं. खेल कल्चर हमारे राज्य की खासियत है,यहां गिने-चुने ही खेल सेंटर हैं, और वो भी शहरों में हैं, जहां गांव-देहात के बालक अभ्यास करते हैं. इन सभी खिलाड़ियों का अभ्यास करने दूसरे राज्यों में जाना भी तो सम्भव नहीं,अकूत कमाई करने वाले धनाढ्य घरों के बालक क्यों मुक्के खाएंगे? क्यों रेत-माटी में धोबी-पछाड़ लगाएंगे? क्यों ट्रायल देने के लिए रेल,बसों में उकडू बैठकर, खड़े होकर, भूखे-छके, सफर करेंगे?

हर राज्य की अपनी खासियत है, तो जिस राज्य में खेल-खिलाड़ी हर घर में हों, वहां तो सुविधा देनी चाहिए.UP-Bihar जैसे राज्यों की माटी में राजनीति और साहित्य बसता है तो इसी तरह हरियाणा की माटी में पहलवानी, खेल और खेती-किसानी बसती है, तो इसे बनाये रखना बहुत जरूरी है. Women’s World Boxing Championship में भी 4 पदकों में से 2 Haryana की मुक्केबाज जीती.ये खिलाड़ी अपने दम पर मेडल लाते हैं, सरकार-नेता जी बाद में ही बस हफ्ते तक गर्व करते हैं.

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