जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में बढ़ती आतंकी घटनाओं के बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए एक अहम बैठक बुलाई है। यह बैठक साउथ ब्लॉक में आयोजित की गई, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, और सुरक्षा से जुड़ी अन्य एजेंसियों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया।
बैठक का उद्देश्य
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकी गतिविधियों पर चर्चा करना और उन पर काबू पाने के लिए रणनीतिक निर्णय लेना था। हाल ही में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा किए गए हमलों में सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इन घटनाओं पर चिंता जताते हुए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
एनएसए अजीत डोभाल की भूमिका
बैठक में एनएसए अजीत डोभाल ने जम्मू-कश्मीर की वर्तमान सुरक्षा स्थिति पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने आतंकियों के बढ़ते नेटवर्क, उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हथियारों और सीमापार से हो रही घुसपैठ पर चर्चा की। डोभाल ने सुरक्षा बलों की तैनाती, खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान और ऑपरेशनल रणनीतियों पर भी प्रकाश डाला।
भारतीय सेना प्रमुख का दृष्टिकोण
भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर में चल रहे अभियानों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है और उनके ठिकानों पर लगातार दबाव बनाए रखा जा रहा है। सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि सुरक्षाबलों की तैनाती और मॉनिटरिंग को और सख्त किया जाएगा, ताकि आतंकियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सके।
भविष्य की रणनीति
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ाई जाएगी। खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय और मजबूत किया जाएगा, ताकि आतंकियों के मंसूबों को पहले ही विफल किया जा सके। इसके अलावा, सीमापार से हो रही घुसपैठ पर सख्त कार्रवाई के लिए भी रणनीति बनाई जाएगी।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकी घटनाओं पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा बुलाई गई यह बैठक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। एनएसए अजीत डोभाल, भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों के साथ हुई इस बैठक में लिए गए निर्णयों से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। सरकार और सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर काम कर रही हैं, ताकि देश की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।