
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया। अपने भाषण में उन्होंने देश के भविष्य के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए और विकास की दिशा में अपने विज़न को साझा किया।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जोर दिया कि भारत को वर्तमान कम्यूनल सिविल कोड से आगे बढ़कर एक सेक्युलर सिविल कोड अपनाने की आवश्यकता है, जो देश के विविधतापूर्ण समाज को बेहतर ढंग से सेवा दे सके। उन्होंने ‘एक देश, एक चुनाव’ की अवधारणा को भी महत्वपूर्ण बताया, जिससे संसाधनों का अधिक प्रभावी उपयोग हो सकेगा और देश में राजनीतिक स्थिरता आएगी।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने भारत के ओलंपिक सपने को साकार करने की दिशा में अपने संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा कि 2036 में भारत ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने का सपना देख रहा है। यह न केवल खेल जगत में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाएगा बल्कि देश के वैश्विक कद को भी ऊंचाई पर ले जाएगा।
2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सपना आजादी के 100 साल पूरे होने के साथ पूरा होगा। इस लक्ष्य को पाने के लिए उन्होंने सभी भारतीयों को एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए अगले पांच सालों में 75,000 नई मेडिकल सीटें बनाने की घोषणा की। यह कदम देश में चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य सेवाओं को और सशक्त बनाने की दिशा में अहम साबित होगा।
अपराध और न्याय पर अपनी कठोरता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री ने बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के लिए फांसी की सजा की बात कही, जिससे ऐसे अपराधों पर रोक लगाई जा सके और समाज में एक मजबूत संदेश दिया जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण भारत के विकास और न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह देशवासियों को एकजुट होकर नए भारत के निर्माण की दिशा में प्रेरित करता है।