बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने हाल ही में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) पर तीखा हमला किया है। उन्होंने इन दलों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर कांग्रेस और एनसी की सरकार बनती है, तो ये लोग जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान में मिला देंगे। मांझी का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है और विभिन्न दलों की ओर से इसकी प्रतिक्रिया आ रही है।
मांझी ने अपने बयान में कांग्रेस और एनसी की नीतियों को राष्ट्रविरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि ये दल देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और उनकी नीतियाँ देश की अखंडता के लिए खतरा बन सकती हैं। मांझी ने कहा, “अगर इनकी सरकार बन गई, तो ये जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की कोशिश करेंगे। यह देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए बहुत बड़ा खतरा है।”
मांझी के इस बयान पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस और एनसी ने इसे राजनीतिक स्टंट करार दिया है और कहा है कि मांझी केवल सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मांझी का बयान पूरी तरह से बेबुनियाद और झूठा है, और इसका मकसद केवल राजनीतिक लाभ उठाना है।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मांझी के बयान का समर्थन किया है। भाजपा नेताओं ने कहा कि मांझी ने जो कहा है, वह सच के करीब है और यह देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए चिंताजनक है। उन्होंने कांग्रेस और एनसी पर निशाना साधते हुए कहा कि इन दलों की नीतियाँ देश के हित में नहीं हैं और अगर इन्हें सत्ता मिलती है, तो देश की एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है।
इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में गर्माहट बढ़ गई है। मांझी का बयान आगामी चुनावों के मद्देनजर महत्वपूर्ण माना जा रहा है, और इसके प्रभाव को लेकर राजनीतिक विश्लेषक अलग-अलग राय दे रहे हैं। मांझी के इस बयान के बाद से उनके समर्थक और विरोधी दोनों ही इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में जुट गए हैं।
इस विवाद के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस बयान का राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ता है और यह चुनावी गणित को किस तरह से प्रभावित करता है।