दिल्ली में भाजपा की अहम बैठक आज, रुकी हुई हरियाणा विधानसभा टिकटों पर हो सकती है घोषणा
नई दिल्ली।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा की तैयारियां जोरों पर हैं, और इसी कड़ी में पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक आज देर शाम दिल्ली में हो सकती है। इस बैठक में हरियाणा की उन सीटों पर चर्चा होगी, जहां टिकटों को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। पार्टी की पहली सूची जारी होने के बाद भी कुछ विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हरियाणा के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर तीसरी बार विचार-विमर्श किया है, और अब इन टिकटों की घोषणा जल्द ही हो सकती है।
रुकी हुई सीटों पर आज हो सकती है घोषणा
हरियाणा के कई प्रमुख विधानसभा क्षेत्र, जैसे बावल, पटौदी, नारनौल, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद बडकल, और मेवात-नूंह की टिकटों पर आज घोषणा होने की संभावना है। इन सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर सहमति नहीं बन पाने के कारण सूची रुकी हुई थी। वहीं, कुछ पहले से घोषित सीटों पर भी उम्मीदवार बदलने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
असंतुष्ट भाजपा कार्यकर्ता और दक्षिण हरियाणा में चुनौतियां
भाजपा को इस बार कई आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर टिकट की मांग करने वाले नेता और कार्यकर्ता पार्टी से नाराज होते दिख रहे हैं। दक्षिणी हरियाणा में पार्टी को बड़े झटके लगने की आशंका है, क्योंकि गुरुग्राम से भाजपा के दो प्रमुख नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। इनमें से एक नेता ने कांग्रेस जॉइन कर ली है, जबकि दूसरे ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह घटनाक्रम भाजपा के लिए दक्षिणी हरियाणा में चुनावी समीकरण बिगाड़ सकता है और पार्टी की स्थिति को कमजोर कर सकता है।
मनोहर लाल खट्टर के प्रति नाराजगी और उसका असर
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ पार्टी के भीतर और जनता के बीच नाराजगी तेजी से बढ़ रही है। 9.5 साल तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले खट्टर पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में न केवल आम जनता बल्कि अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और विधायकों की भी उपेक्षा की। यह नाराजगी खासकर पंजाबी समुदाय में ज्यादा दिखाई दे रही है, जो खट्टर की नीतियों से असंतुष्ट हैं।
खट्टर के शासनकाल में कई कार्यकर्ताओं और विधायकों ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते, लेकिन इसके बावजूद खट्टर ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया। इसके चलते पार्टी की छवि लगातार खराब होती गई, और इसका असर आगामी चुनाव में दिख सकता है। कई नेता अब यह मान रहे हैं कि अगर भाजपा को हरियाणा में नुकसान होता है, तो उसका मुख्य कारण मनोहर लाल खट्टर की कार्यशैली होगी।
भाजपा नेतृत्व के सामने बड़ी चुनौती
भाजपा नेतृत्व को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि पार्टी के भीतर के असंतोष को कैसे शांत किया जाए और चुनाव से पहले नाराज कार्यकर्ताओं को वापस पार्टी के साथ कैसे जोड़ा जाए। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, जैसे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, विधानसभा चुनाव सह प्रभारी विप्लव देव, और सतीश पूनिया को इस दिशा में अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन नेताओं का काम केवल टिकट वितरण ही नहीं बल्कि नाराज कार्यकर्ताओं को मनाना भी है, ताकि पार्टी एकजुट होकर चुनाव में उतर सके।
खट्टर सरकार के कामों पर जनता का गुस्सा
भले ही मनोहर लाल खट्टर ने अपने कार्यकाल में कई अच्छे काम किए हों, लेकिन उनकी सरकार के दौरान जनता से सीधे टकराव के कई मामले सामने आए हैं। कई बार देखा गया कि जनसभाओं में जब लोग अपनी समस्याएं उठाते, तो उन्हें सभा से बाहर निकाल दिया जाता या हिरासत में लिया जाता। इस तरह के रवैये ने जनता के बीच खट्टर सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया है।
अब, जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, तो जनता का यह असंतोष भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। पार्टी के लिए जरूरी है कि वह इस असंतोष को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए, अन्यथा चुनावी नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं।
निष्कर्ष
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा को अपने आंतरिक असंतोष और नाराज कार्यकर्ताओं से निपटने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली में होने वाली इस अहम बैठक में पार्टी की रुकी हुई टिकटों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा, लेकिन चुनावी मैदान में भाजपा के लिए राह आसान नहीं होगी। खासकर दक्षिणी हरियाणा और मनोहर लाल खट्टर के प्रति बढ़ते असंतोष को देखते हुए पार्टी को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना होगा।