बलबीर सिंह लंबे समय से कांग्रेस के साथ जुड़े हुए हैं और पार्टी के प्रति उनकी वफादारी तथा क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें इस महत्वपूर्ण सीट से टिकट दिया गया है। बलबीर सिंह ने न केवल पार्टी के भीतर, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भी अपनी सक्रिय भागीदारी दिखाई है। उनका सामाजिक और राजनीतिक जुड़ाव जनता के विभिन्न वर्गों के साथ है, जिससे कांग्रेस को उम्मीद है कि वे इस सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब होंगे।
इसराना विधानसभा क्षेत्र हरियाणा की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सीट पिछले चुनावों में कई बार सत्ता परिवर्तन का गवाह बनी है, जिससे यह क्षेत्र सभी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर विशेष ध्यान दिया है, क्योंकि इस क्षेत्र में मतदाताओं का मूड अक्सर चुनावी परिणामों को प्रभावित करता है। बलबीर सिंह की उम्मीदवारी कांग्रेस की इस रणनीति का हिस्सा है कि वह हरियाणा में मजबूत जनाधार वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।कांग्रेस ने इस बार हरियाणा में चुनावों को लेकर कई स्तरों पर तैयारी की है। पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण, जनसम्पर्क अभियानों और स्थानीय नेताओं की सिफारिशों के आधार पर बलबीर सिंह के नाम पर मुहर लगाई गई। पार्टी को उम्मीद है कि बलबीर सिंह अपने अनुभवी नेतृत्व और जनता के बीच मजबूत पकड़ के कारण इस सीट पर अच्छा प्रदर्शन करेंगे। कांग्रेस का लक्ष्य है कि इस चुनाव में अधिक से अधिक सीटों पर जीत हासिल कर प्रदेश में सरकार बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए।
इसराना सीट पर बलबीर सिंह के सामने कई चुनौतियाँ भी होंगी। मौजूदा सरकार के उम्मीदवार और अन्य प्रमुख दलों के प्रत्याशी भी इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में होंगे। बलबीर सिंह को इस चुनौतीपूर्ण मुकाबले में अपने संगठनात्मक कौशल, व्यक्तिगत छवि और जनसम्पर्क अभियानों के माध्यम से सफलता प्राप्त करनी होगी।कांग्रेस के इस निर्णय के बाद क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियाँ और तेज़ हो गई हैं। आने वाले दिनों में सभी उम्मीदवारों के प्रचार अभियान तेज होंगे, और यह देखना दिलचस्प होगा कि बलबीर सिंह कांग्रेस की उम्मीदों पर कितना खरा उतर पाते हैं। कांग्रेस ने इस कदम से हरियाणा में अपने चुनावी अभियान को एक नई दिशा दी है, जो पार्टी की भविष्य की रणनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।