- भय, लोभ, वासना से ऊपर उठें और अपने धर्म को किसी भी कीमत पर न छोड़े: शंकराचार्य
- राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि मानकर माता पिता गुरुजनों का सम्मान करे : स्वामी धर्मदेव महाराज
पटौदी, 11अप्रैल
आश्रम हरि मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी के 103 वें वार्षिकोत्सव में आयोजित संत सम्मेलन में विभिन्न प्रांतों से आए प्रमुख संतों ने सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने तथा धर्म परिवर्तन से निपटने तथा भारत को विश्व गुरु के पद पर पुनर्स्थापित करने जैसे मुद्दे उठाए. वहीं संतों एवं गुरुओं के महत्व पर भी प्रकाश डाला. संत सम्मेलन के अध्यक्ष तथा भानपुरा पीठ मंदसौर के अधिष्ठाता श्रीमद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ महाराज ने लोगों से अपील की कि वे भय लोभ तथा वासना से ऊपर उठें तथा अपने धर्म को किसी भी कीमत पर न छोड़े. उन्होंने कहा कि जब भी धर्म परिवर्तन हुए हैं तो उनके मूल में भय, लोभ तथा वासना ही रही है. आश्रम हरि मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज ने अपने संबोधन में राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि मानने, माता- पिता तथा गुरुजनों का सम्मान करने, जरूरतमंदों के काम आने तथा बच्चों को प्रारंभ से ही अच्छे संस्कार देने पर बल दिया. जीवनदीप आश्रम हरिद्वार के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर स्वामी यतिंद्रानंद गिरी महाराज ने कहा कि समाज को विभिन्न वर्गों में बांटने की परंपरा ठीक नहीं है. यदि समाज बेटा रहेगा तो दुर्गति को प्राप्त होगा. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे देवी देवताओं के अपमान पर चुप न रहे तथा प्रतिकार करना सीखें. अपनी आवाज़ उठाएं.
योग आश्रम लालपुर राजस्थान के संस्थापक तथा वयोवृद्ध संत स्वामी सुधानंद महाराज ने कहा कि समाज का उत्थान केवल वैदिक संस्कृति से ही संभव है. 92 वर्षीय इस संत का जोश देखते ही बनता था. श्री भगवत धाम आश्रम हरिद्वार के परमाध्यम महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद महाराज ने कहा कि जब ईश्वर अवतार लेते हैं तो सज्जनों की रक्षा तथा दुष्टों का संहार करते हैं. परंतु संत किसी का संहार न कर केवल सुधार करते हैं तथा लोगों का कल्याण करते हैं. भारतीय सर्व धर्म संसद के राष्ट्रीय संयोजक तथा महर्षि भृगु संस्थान नोएडा के पीठाधीश्वर गोस्वामी सुशील मुनि महाराज ने कहा कि सनातन संस्कृति को बढ़ावा देकर ही भारत विश्व का नेतृत्व कर सकता है. विश्व में शांति राम राज्य से ही संभव है. उन्होंने घोषणा की कि जनवरी माह से वे हर वर्ष भारत में धर्म संसद बुलाएंगे जिसमें सभी धर्मों के लोगों को आमंत्रित किया जाएगा. आनंद धाम आश्रम बल्लभगढ़ के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विजय दास भैया ने शिक्षा के साथ संस्कार देने की आवश्यकता पर बल दिया तथा गुरु का महत्व बताते हुए कहा कि गुरु ईश्वर को नहीं मिलाता अपितु मुक्ति का मार्ग सिखाता है.
अचार्य सुशील मुनि मिशन शुक्ल धाम, नई दिल्ली के संस्थापक आचार्य विवेक मुनि महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति दूसरे राष्ट्रों को गुलाम बनाना नहीं सिखाती अपितु वसुधैव कुटुंबकम की बात करती है. इसलिए विश्व गुरु भारत ही बन सकता है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पेड़ सूरज की धूप लेकर भी राहगीर को छाया एवं शीतलता प्रदान करते हैं संतों का कार्य भी उसी प्रकार का है. श्री हरकेश पुरी आश्रम टोडरपुर, अलवर के अध्यक्ष स्वामी मुक्तानंद महाराज ने कहा कि गुरु मिलन का लाभ तभी है जब हम अपना मोह समाप्त कर समर्पण भाव से गुरु वचनों को आत्मसात करें. सिद्ध भजन कुटी गोपीनाथ मंदिर वृंदावन के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर योगी नगर गिरी महाराज ने लोगों से अपील की कि वे अपने बच्चों को खूब पढ़ाएं परंतु साथ में उन्हें सनातनी भी बनाए. अपने माता-पिता तथा गुरु का सम्मान करें. इस अवसर पर श्री राम भक्ति धाम वृंदावन के अध्यक्ष डॉक्टर स्वामी कौशल किशोर महाराज, ओंकारेश्वर शिवालय आदिबद्री के अधिष्ठाता स्वामी रामानंद महाराज, राणा प्रताप बाग दिल्ली से आई डॉक्टर स्वामी कमलेश महाराज, अमर धाम हरि मंदिर स्वरूप नगर के अधिष्ठाता स्वामी ओमानंद महाराज ने भी अपने विचार रखे.