पार्टी के कई वरिष्ठ नेता टिकट वितरण से असंतुष्ट हैं
नई दिल्ली, 13 सितंबर 2024 – हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण होती जा रही है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता टिकट वितरण से असंतुष्ट हैं, और उन्हें मनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, जो नेता पार्टी के निर्णयों से सहमत नहीं हो रहे, उनके लिए दिल्ली से आने वाले फोन भारी दबाव का कारण बन रहे हैं। एक ताजा मामला महेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र का है, जहां भाजपा ने वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रोफेसर रामविलास शर्मा का टिकट काटकर कंवर सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया है।
दिल्ली से आया फोन, पूर्व मंत्री हुए शांत
भाजपा द्वारा कंवर सिंह यादव को टिकट देने के बाद, पूर्व मंत्री रामविलास शर्मा नाराज हो गए और उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में महेंद्रगढ़ से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। लेकिन जैसे ही इस खबर की जानकारी भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को हुई, तो दिल्ली से रात को फोन आया, जिसके बाद प्रोफेसर शर्मा ने अपना निर्दलीय नामांकन वापस ले लिया और कंवर सिंह यादव को अपना समर्थन देने की घोषणा की।
अंदरूनी विरोध से हो सकता है नुकसान
हालांकि, सूत्रों के अनुसार प्रोफेसर रामविलास शर्मा अभी भी पूरी तरह शांत नहीं हुए हैं और अंदर ही अंदर असंतोष बना हुआ है। पार्टी के भीतर इस तरह की नाराजगी से भाजपा को आगामी चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
फरीदाबाद बडकल में भी असंतोष
फरीदाबाद के बडकल विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा के टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष देखने को मिल रहा है। यहां पार्टी ने एक ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया है जिसकी छवि को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, और उन्हें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के समर्थक के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन स्थानीय जनता की नाराजगी से भाजपा की स्थिति कमजोर होती दिख रही है।
दक्षिण हरियाणा में भाजपा की स्थिति कमजोर
दक्षिण हरियाणा में भाजपा की स्थिति इस समय तक बेहद नाजुक नजर आ रही है। कांग्रेस द्वारा उम्मीदवारों की घोषणा होते ही भाजपा के खेमे में हलचल मच गई है। निर्दलीय उम्मीदवारों के बढ़ते दबाव से भाजपा उम्मीदवारों को चिंता सताने लगी है।
चुनाव में किसकी होगी जीत?
हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारी जोर-शोर से चल रही है, लेकिन भाजपा के लिए यह चुनाव आसान नहीं होने जा रहा। मनोहर लाल खट्टर और राव इंद्रजीत सिंह जैसे बड़े नेताओं की साख पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि टिकट वितरण में इनकी भूमिका अहम मानी जा रही है। अगर इनके समर्थक चुनाव में हारते हैं, तो पार्टी नेतृत्व इन नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता है, जिससे उनकी कुर्सी तक खतरे में पड़ सकती है।
अन्यथा अंदरूनी विरोध पार्टी को भारी पड़ सकता है।
हरियाणा में राजनीतिक माहौल दिन-ब-दिन गरम होता जा रहा है। भाजपा को अंदरूनी असंतोष और विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जो चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। अब देखना यह होगा कि 5 अक्टूबर को होने वाले मतदान के बाद किस पार्टी का सिक्का चलता है और कौन सत्ता की कुर्सी पर काबिज होता है।
इस चुनावी संघर्ष के बीच, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अपने असंतुष्ट नेताओं को मनाने और पार्टी की एकता को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, अन्यथा अंदरूनी विरोध पार्टी को भारी पड़ सकता है।