- गांवों में गहराया पेयजल संकट, बोरवेल के पानी से बढ़ रहे उल्टी-दस्त के रोगी
सिरसा,18 अप्रैल।
प्राकृतिक आपदा के कारण जहां किसान पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है, वहीं अब बहुत सारी नहरें 18 अप्रैल से लेकर 2 मई तक बंद कर दी गई है. अप्रैल के महीने में नरमा व कपास की बिजाई का पूरा सीजन होता है, लेकिन हरियाणा सरकार व नहरी विभाग सिरसा की किसानों के प्रति नकारात्मक सोच के चलते नहर बंदी ने किसान के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है.
भारतीय किसान एकता बीकेई अध्यक्ष लखविंद्र सिंह ने उपरोक्त आरोप लगाते हुए एक प्रेस बयान में बताया कि नहर बंदी अनेक गांवों में पेयजल की भी तगड़ी किल्लत हो गई है. लोगों को मजबूरन पानी टैंकरों से मोल मंगवाकर पीना पड़ रहा है. यही नहीं चोपटा क्षेत्र के कई गांवों में जो सेमग्रस्त है, वहां ट्यूबवैल का पानी सप्लाई होने से लोगों में उल्टी-दस्त की बिमारी बढ़ रही है. जिन नहरों की बंदी की गई है, उनमें मम्मड़ खेड़ा, कालूआना, केवल, मिठड़ी, डबवाली, मौजगढ़, जंडवाला, चौटाला, तेजाखेड़ा, लोहगढ़, कालूआना लिंक चैनल, लम्बी माइनर, मसीता माइनर, रोड़ी ब्रांच, रंगा बड़ागुढ़ा डिस्ट्रीब्यूटरी, सहारनी, शेखुपुरा, बनी, अबूतगढ़, ओटू फीडर, एसजीसी, एनजीसी इत्यादि नहरें आती हैं. इसके साथ-साथ सिरसा मेजर, कुत्तियाना, बरूवाली शामिल है. 26 दिसंबर 2022 से 3 जून 2023 तक 2 ह ते नहर चलने व 2 हफ्ते बंद रहने का शेड्यूल बना हुआ है, लेकिन बिजाई के समय यह नहरें एक सप्ताह चलाकर बंद कर दी गई हैं. फतेहाबाद से लिंक वनमंदोरी, गिगोरानी, पीलीमंदोरी, शेरांवाली, नोहर फीडर, सुखचैन इत्यादि नहरें 2 जून तक चलेंगी. नहरी विभाग का कहना है कि अगर पानी और आ जाता है तो छोटी-मोटी नहरें और भी चला सकते हैं. बीकेई अध्यक्ष लखविंद्र सिंह ने कहा कि किसानों को लगा था कि गेहूं व सरसों की फसल नष्ट होने के बाद सरकार उनकी आगामी फसल के लिए मदद करेगी, लेकिन सरकार ने मदद की बजाय नहर बंदी कर किसानों के लिए ओर मुश्किलें पैदा कर दी है.