हिज़्बुल्लाह की सैन्य क्षमता
हिज़्बुल्लाह के पास आज भी बड़ी संख्या में लड़ाके हैं, जो गुरिल्ला युद्ध की कुशलता से प्रशिक्षित हैं। संगठन ने पिछले कई वर्षों में हथियारों का विशाल भंडार तैयार किया है, जिसमें मिसाइलों, रॉकेटों, और अन्य आधुनिक हथियारों का शामिल होना इस बात का संकेत है कि हिज़्बुल्लाह इज़रायल से सीधे मुकाबला करने की पूरी क्षमता रखता है। हिज़्बुल्लाह के वेयरहाउस और सुरंगें उसकी सामरिक क्षमता को और बढ़ाते हैं, जो उसे इज़रायली हमलों से बचने और जवाबी कार्रवाई करने में सक्षम बनाते हैं।
हिज़्बुल्लाह का क्षेत्रीय समर्थन
हिज़्बुल्लाह को लेबनान में मजबूत स्थानीय समर्थन प्राप्त है, विशेषकर शिया मुस्लिम समुदाय से। यह समर्थन केवल सैन्य ताकत तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक आधार भी संगठन की मजबूती का एक प्रमुख कारण है। इसके अलावा, हिज़्बुल्लाह का ईरान से मिलने वाला वित्तीय और सैन्य सहयोग उसे एक ताकतवर संगठन बनाता है, जो इज़रायल के लिए एक दीर्घकालिक चुनौती बना हुआ है। ईरान से मिलने वाले उन्नत हथियार और तकनीकी सहायता हिज़्बुल्लाह को रणनीतिक रूप से और अधिक सक्षम बनाती है।
नेतृत्व में परिवर्तन और भविष्य की दिशा
हालांकि, हसन नसरल्लाह की मौत के बाद हिज़्बुल्लाह के नेतृत्व में कुछ अस्थिरता आ सकती है, लेकिन यह संगठन लंबे समय से अपने ढांचे को इस प्रकार तैयार करता आया है कि किसी एक व्यक्ति पर निर्भर न रहे। हिज़्बुल्लाह का ढांचा कई प्रशिक्षित नेताओं और कमांडरों पर आधारित है, जो कठिन परिस्थितियों में भी संगठन का संचालन कर सकते हैं। संगठन की विचारधारा और मिशन स्पष्ट हैं, जिससे वह अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने में सक्षम है।
इज़रायल के खिलाफ संघर्ष की संभावनाएं
इज़रायल के खिलाफ हिज़्बुल्लाह की टक्कर लेने की क्षमता को कम नहीं आंका जा सकता। हिज़्बुल्लाह ने कई बार यह साबित किया है कि वह इज़रायल के अत्याधुनिक सैन्य ताकत के बावजूद, उसे प्रभावी ढंग से चुनौती दे सकता है। हाल के वर्षों में इज़रायल के साथ हुई झड़पों में हिज़्बुल्लाह ने दिखाया है कि वह न केवल अपने इलाके की रक्षा कर सकता है, बल्कि इज़रायल के अंदरूनी इलाकों में भी हमला करने की क्षमता रखता है। इज़रायल को हिज़्बुल्लाह के मिसाइल कार्यक्रम से भी लगातार खतरा बना रहता है, जिसने उसकी सुरक्षा रणनीतियों में गंभीर बदलाव की आवश्यकता पैदा कर दी है।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
इस संघर्ष का भविष्य केवल इज़रायल और हिज़्बुल्लाह के बीच की सैन्य ताकत पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीतिक परिस्थितियों पर भी निर्भर करेगा। अगर ईरान और हिज़्बुल्लाह के बीच सहयोग और गहरा होता है, तो इज़रायल को हिज़्बुल्लाह से बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, लेबनान की आंतरिक स्थिति और अन्य क्षेत्रीय ताकतों की भूमिका भी इस संघर्ष की दिशा को प्रभावित कर सकती है।
संक्षेप में, हिज़्बुल्लाह के पास इज़रायल से टक्कर लेने की पूरी क्षमता मौजूद है, चाहे नेतृत्व में परिवर्तन हो या संगठन पर बाहरी दबाव। हिज़्बुल्लाह की रणनीतिक, सैन्य, और राजनीतिक ताकत इस संघर्ष को और जटिल बना रही है, और आने वाले समय में इज़रायल और हिज़्बुल्लाह के बीच तनाव और बढ़ने की संभावना है।