शिवसेना भी अपनी स्थिति को मजबूत करने में जुटी है।
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर – महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है, जहाँ सभी राजनीतिक पार्टियाँ अपने-अपने प्रत्याशियों को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रही हैं। कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेता धुआंधार जनसभाएं कर रहे हैं, जबकि शिवसेना भी अपनी स्थिति को मजबूत करने में जुटी है।
ऐसे नेता भी चुनावी मैदान में हैं, जिनका स्थानीय भाषा का ज्ञान सीमित है
भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चुनावी प्रचार में उतारा है। इस दौरान कुछ ऐसे नेता भी चुनावी मैदान में हैं, जिनका स्थानीय भाषा का ज्ञान सीमित है, फिर भी वे चुनावी गतिविधियों को संभाल रहे हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र के नेता नई रणनीतियाँ तैयार कर रहे हैं।
असली और नकली शिवसेना का टकराव
महाराष्ट्र चुनाव में ‘असली’ और ‘नकली’ शिवसेना के बीच टकराव की चर्चा जोरों पर है। बाल ठाकरे वाली शिवसेना को असली माना जा रहा है, जबकि उद्धव ठाकरे की पार्टी को नकली शिवसेना बताया जा रहा है। यह स्थिति मतदाताओं के लिए भ्रमित करने वाली है और इससे यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि कौन सी पार्टी वास्तव में उनके मुद्दों का सही प्रतिनिधित्व करती है।
सपा और कांग्रेस की भूमिका
सपा और कांग्रेस भी चुनावी मैदान में सक्रिय हैं, लेकिन उनकी गतिविधियाँ अपेक्षाकृत सीमित नजर आ रही हैं। दोनों पार्टियाँ अपनी रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, ताकि चुनाव में मजबूती से खड़ी हो सकें।
महाराष्ट्र की जनता अब यह तय करेगी कि असली शिवसेना कौन है
महाराष्ट्र की जनता अब यह तय करेगी कि असली शिवसेना कौन है और कौन सी पार्टी उनके मुद्दों को सही ढंग से उठाने में सफल होगी। चुनावी माहौल गर्म है, और सभी पार्टियाँ जीत की उम्मीद में अपने-अपने दावें पेश कर रही हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि किस पार्टी को जनता का समर्थन मिलता है।