बीपीएल परिवार को अस्पताल के गेट पर फटकने नहीं दिया जाता।
सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था नहीं है प्राइवेट अस्पताल भारी पड़े।
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर में देसी बकरियों के दूध की मांग तेजी से बढ़ी है। हाल ही में डेंगू के मरीजों की संख्या में वृद्धि के कारण अस्पतालों में परिजन मरीजों को देसी बकरी का दूध पिला रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि डेंगू के कारण प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है, जिससे मरीज और उनके परिजन चिंतित हो जाते हैं।
बकरी के दूध के फायदे
प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद
कुछ डॉक्टरों का मानना है कि बकरी का दूध मरीजों को प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसलिए, बकरी के दूध की मांग में वृद्धि देखी जा रही है, और यह रोजाना 4,000 किलो तक पहुंच गया है।
अस्पतालों की स्थिति
दिल्ली एनसीआर में सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी है, जबकि प्राइवेट अस्पताल अत्यधिक महंगे हैं। यहाँ के प्राइवेट अस्पताल फाइव स्टार होटल की तर्ज पर बनाए गए हैं, लेकिन वे मरीजों से मनमाने दाम वसूलते हैं। सरकारी अस्पतालों में ठीक से सुविधाएं न होने के कारण मरीज निजी अस्पतालों का रुख करने को मजबूर हैं, हालाँकि वहाँ भी आयुष्मान योजना के लाभार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
आयुष्मान योजना का लाभ
केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना का उद्देश्य गरीब लोगों को स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना है, लेकिन वास्तविकता यह है कि बीपीएल (बॉटम पुअर लेयर) परिवारों को निजी अस्पतालों में भर्ती नहीं होने दिया जाता। कई बार, बीपीएल परिवारों को अस्पताल के गेट पर ही लौटा दिया जाता है, जिससे उन्हें अपनी जेब से बड़ी रकम चुकानी पड़ती है।
डेंगू के बढ़ते मामलों ने अस्पतालों में भारी भीड़ उत्पन्न कर दी है
डेंगू के बढ़ते मामलों ने अस्पतालों में भारी भीड़ उत्पन्न कर दी है, जिससे मरीजों को उचित चिकित्सा प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। बकरी के दूध की बढ़ती मांग इस समस्या का एक हिस्सा है, जबकि स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और निजी अस्पतालों के मनमाने दाम चिंता का विषय बने हुए हैं।