गोवर्धन पर्व का उत्सव 2 नवंबर, शनिवार को मनाया जाएगा।
चंडीगढ़, 2 नवंबर – गोवर्धन पर्व, जिसे दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, गोवर्धन पर्व का उत्सव 2 नवंबर, शनिवार को मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा का महत्व
भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है
गोवर्धन पूजा का महत्व भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है, जब उन्होंने इंद्र देव की नाराजगी से गोकुलवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाया था। इस दिन लोग विशेष रूप से भगवान गिरिराज को अन्नकूट भोग अर्पित करते हैं, जो कि इस पर्व की विशेष परंपरा है।
पूजा का समय
सूर्योदय काल से रात्रि 8 बजकर 21 मिनट तक रहेगी।
इस बार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि 2 नवंबर को सूर्योदय काल से रात्रि 8 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। इस अवसर पर मंदिरों में भव्य आयोजन किए जाते हैं, जहां भक्तजन भगवान को अन्नकूट भोग अर्पित करते हैं। घरों में भी दोपहर बाद पूजा करने की परंपरा है, जहां परिवार के सदस्य मिलकर भगवान की आरती और पूजा करते हैं।
गोवर्धन पूजा की तैयारी
मिठाइयाँ और अन्य व्यंजन तैयार किए जाते हैं।
इस पर्व की तैयारी में घरों में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और उन्हें सजाया जाता है। साथ ही, इस दिन विशेष रूप से मिठाइयाँ और अन्य व्यंजन तैयार किए जाते हैं। लोग इस पर्व को खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं, जिससे पारिवारिक बंधन और मजबूत होते हैं।
गोवर्धन पर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा
गोवर्धन पर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भक्ति, समर्पण और एकता का प्रतीक है। इस पर्व पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की कामना की जाती है। इस पर्व पर सभी भक्तों को शुभकामनाएँ!