
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी पार्टी को चुनावी हार के बाद भी विपक्ष का नेता बनना चाहते हैं,
चंडीगढ़, 14 नवंबर – हरियाणा विधानसभा में पहली बार कांग्रेस पार्टी बिना विपक्ष के नेता के बैठी हुई है। यह एक अनोखी स्थिति है, क्योंकि इससे पहले कांग्रेस हर विधानसभा सत्र से पहले अपने विपक्षी नेता का चयन कर लिया करती थी, और विधानसभा में कांग्रेस के विपक्ष के नेता सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के समक्ष खड़े होते थे। लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी के अंदर जारी नेतृत्व विवाद और गहरी असमंजस की स्थिति के कारण पार्टी ने अभी तक विधानसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त नहीं किया है।
विपक्ष के नेता को लेकर अभी भी पार्टी के अंदर संघर्ष जारी है,
कांग्रेस में विपक्ष के नेता को लेकर अभी भी पार्टी के अंदर संघर्ष जारी है, और स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं हो पाई है। सूत्रों के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी पार्टी को चुनावी हार के बाद भी विपक्ष का नेता बनना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अब तक उन्हें पार्टी की कमान सौंपने का कोई संकेत नहीं दिया है। हुड्डा के नेतृत्व को लेकर पार्टी में बढ़ते असंतोष के कारण, कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता का चयन करने के लिए किसी को भी आगे नहीं बढ़ाया है।
इस बीच, कांग्रेस के भीतर की स्थिति और नेतृत्व का संकट साफ तौर पर पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया है। यदि इस स्थिति को जल्द हल नहीं किया गया, तो कांग्रेस की विधानसभा में ताकत और विपक्ष की भूमिका और कमजोर हो सकती है, जिससे पार्टी को आगामी चुनावों में भी नुकसान हो सकता है।
हरियाणा में कांग्रेस की अंतरकलह
कांग्रेस के भीतर इस नेतृत्व संघर्ष का असर न केवल पार्टी की कार्यप्रणाली पर पड़ा है, बल्कि इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच भी भ्रम और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हरियाणा में कांग्रेस की अंतरकलह और विपक्ष के नेता की नियुक्ति में असमर्थता पार्टी की एकता और मजबूती को प्रभावित कर रही है।
कांग्रेस राष्ट्रीय नेतृत्व इस समस्या को कैसे हल करता है
अब देखना होगा कि कांग्रेस राष्ट्रीय नेतृत्व इस समस्या को कैसे हल करता है और विपक्ष के नेता के मुद्दे पर पार्टी के भीतर एकजुटता लाने के लिए किस दिशा में कदम उठाता है।
कांग्रेस पार्टी को अपने आंतरिक विवादों को सुलझाने और मजबूत विपक्षी भूमिका निभाने के लिए जल्द निर्णय लेने की आवश्यकता है। पार्टी के अंदर नेतृत्व विवादों का समाधान कांग्रेस के लिए आगामी चुनावों में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है।