एक नई राजनीतिक गहमागहमी को जन्म दिया है।
नई दिल्ली, 18 नवंबर: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की तैयारियां तेज़ी से चल रही हैं, और इस दौरान राजनीतिक गतिविधियां अपने शिखर पर हैं। नेताओं की बयानबाजी और चुनावी रणभूमि में किए जा रहे दावों ने एक नई राजनीतिक गहमागहमी को जन्म दिया है।
उद्धव ठाकरे के आरोप, भाजपा हिंदू एकता के नारे के साथ महाराष्ट्र को तोड़ने की कोशिश कर रही है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पार्टी प्रदेश को बांटने का प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा हिंदू एकता के नारे के साथ महाराष्ट्र को तोड़ने की कोशिश कर रही है। ठाकरे ने जोर देकर कहा कि शिवसेना का मूल नारा हमेशा से ‘हिंदू’ रहा है और वे भाजपा के हमलों का मुहतोड़ जवाब देने के लिए लगातार सक्रिय हैं।
शरद पवार की सक्रियता, आने वाला समय यह तय करेगा कि महाराष्ट्र की राजनीति में कौन सी दिशा आएगी।
इस बीच, एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार भी चुनावी मैदान में सक्रियता बढ़ा रहे हैं। उनके द्वारा आयोजित बड़ी-बड़ी रैलियों का उद्देश्य पार्टी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा पैदा करना है। पवार ने कहा कि आने वाला समय यह तय करेगा कि महाराष्ट्र की राजनीति में कौन सी दिशा आएगी।
भाजपा और कांग्रेस का चुनावी खेल , कांग्रेस की चुनावी रणनीतिकाओं को कमजोर करने के लिए रैलियों
भाजपा के राष्ट्रीय नेता, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस की चुनावी रणनीतिकाओं को कमजोर करने के लिए रैलियों में भाग ले रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के प्रमुख नेता, जैसे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, भी महाराष्ट्र में भाजपा के खिलाफ रैलियाँ कर रहे हैं।
राजनीतिक विरोधाभास , उन्हें अपने ही गठबंधन के उम्मीदवार की तुलना में बेहतर उम्मीदवार माना जाए।
महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीति में एक विरोधाभास देखने को मिल रहा है। दोनों मुख्य गठबंधनों के बड़े नेता अपने ही गठबंधन के प्रत्याशियों के खिलाफ बागी और निर्दलीय उम्मीदवारों को खुले तौर पर समर्थन कर रहे हैं। राकांपा के प्रमुख नेता अजित पवार और छगन भुजबल जैसे नेताओं ने इस खेल में भाग लेते हुए अपने-अपने चुनावी क्षेत्र में इतना समर्थन जुटाने की कोशिश की है कि उन्हें अपने ही गठबंधन के उम्मीदवार की तुलना में बेहतर उम्मीदवार माना जाए।
छगन भुजबल की रणनीति , वे चुनावी प्रचार में कितनी मेहनत कर रहे हैं।
छगन भुजबल, जो नासिक जिले के येवला से चुनाव लड़ रहे हैं, अपनी जीत के लिए मेहनत कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने नांदगांव की सीट पर शिवसेना-शिंदे के उम्मीदवार को भी कमजोर करने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। उनके चुनाव कार्यालय के बाहर बड़े-बड़े पोस्टरों से दर्शाया गया है कि वे चुनावी प्रचार में कितनी मेहनत कर रहे हैं।
हाल ही में, भुजबल के कार्यालय में राकांपा कार्यकर्ताओं की टोली पहुंची, जो न केवल उनके समर्थन में थीं, बल्कि समीर भुजबल नामक बागी उम्मीदवार के चुनावी बैज के साथ भी थीं।
राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से स्थिति को अनुकूल बनाने में जुटे हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव इस बार की सियासी गतिविधियाँ और बयानबाजी यह दर्शाती हैं कि राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से स्थिति को अनुकूल बनाने में जुटे हैं। चुनावी रणक्षेत्र की गहमा-गहमी दर्शाती है कि भाजपा और कांग्रेस अपनी पूरी ताकत झोंकने को तैयार हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव का परिणाम किस दिशा में जाता है और कौन सा दल विजय प्राप्त करता है। चुनावी दिन के आने पर ही यह स्पष्ट होगा कि कौन इस राजनीति के खेल में सफल होता है और किसको हार का सामना करना पड़ता है।