
एक देश-एक चुनाव के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन, 31 सदस्य शामिल
नई दिल्ली, 19 दिसंबर: केंद्र सरकार ने एक देश-एक चुनाव के मुद्दे पर विचार करने और इसकी व्यवहारिकता पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया है। यह समिति लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करने के मुद्दे पर विभिन्न दलों से सुझाव और विचार एकत्र करेगी।
जेपीसी की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद पी. पी. चौधरी करेंगे। इस समिति में कुल 31 सदस्य होंगे, जिनमें भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK), राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP), शिवसेना (शिंदे गुट), और अन्य राजनीतिक दलों के सांसद शामिल हैं।
समिति का प्रमुख उद्देश्य देश भर में एक ही समय पर चुनाव आयोजित करने के प्रस्ताव पर चर्चा करना और इसके विभिन्न पहलुओं को समझना है। इसके अलावा, यह समिति एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसे संसद में पेश किया जाएगा।
जेपीसी में शामिल प्रमुख सदस्य:
- पी. पी. चौधरी (BJP) – अध्यक्ष
- डॉ. सीएम रमेश (BJP)
- बांसुरी स्वराज (BJP)
- परषोत्तमभाई रूपाला (BJP)
- अनुराग सिंह ठाकुर (BJP)
- विष्णु दयाल राम (BJP)
- भर्तृहरि महताब (BJP)
- डॉ. संबित पात्रा (BJP)
- अनिल बलूनी (BJP)
- विष्णु दत्त शर्मा (BJP)
- प्रियंका गांधी वाड्रा (कांग्रेस)
- मनीष तिवारी (कांग्रेस)
- सुखदेव भगत (कांग्रेस)
- धर्मेन्द्र यादव (समाजवादी पार्टी)
- कल्याण बनर्जी (TMC)
- टी.एम. सेल्वागणपति (DMK)
- जीएम हरीश बालयोगी (TDP)
- सुप्रिया सुले (NCP – शरद गुट)
- डॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना – शिंदे गुट)
- चंदन चौहान (RLD)
समिति के गठन का उद्देश्य:
इस समिति का गठन केंद्र सरकार द्वारा किए गए एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव को लेकर किया गया है, जिसका उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करने की योजना को लागू करने पर विचार करना है। इसके अंतर्गत चुनावों की तारीखें और प्रक्रिया, चुनावी व्यवस्था के असर, राज्यों और केंद्र सरकार पर इसके प्रभाव सहित कई मुद्दों पर चर्चा होगी।
केंद्र सरकार ने इस समिति का गठन उस समय किया है जब कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों द्वारा इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई गई है। सरकार का मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से चुनावी खर्चों में कमी आएगी, प्रशासनिक कामकाजी प्रक्रिया में सुधार होगा और एक व्यवस्थित चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित होगी।
वहीं, विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ चिंता जताई है, और उनका कहना है कि इससे राज्यों के अधिकारों पर असर पड़ेगा और सत्ता के केंद्रीकरण की संभावना बढ़ेगी।
सुरक्षा और सुरक्षा व्यवस्था:
समिति के गठन के बाद, यह अब संसद के समक्ष रिपोर्ट पेश करेगी, जिसके आधार पर आगे की प्रक्रिया तय की जाएगी। समितियों के सदस्य इस मुद्दे पर विस्तृत विचार विमर्श करेंगे, ताकि किसी भी संभावित संवैधानिक और राजनीतिक दुष्परिणाम से बचा जा सके।
इस प्रकार, जेपीसी एक साथ चुनावों के प्रस्ताव की व्यवहारिकता पर चर्चा करेगी, और इसमें विभिन्न दलों के सांसदों की राय ली जाएगी।