अब जमीन खरीदने और बेचने पर देना होगा इतना
नई दिल्ली: सरकार ने प्रॉपर्टी टैक्स और संपत्ति के लेन-देन से संबंधित एक बड़ा फैसला लिया है। अब जमीन खरीदने और बेचने पर एक नया टैक्स लागू किया जाएगा। इस नए नियम के अनुसार, जमीन की बिक्री या खरीदारी के समय एक नया शुल्क लागू होगा, जिसे प्रॉपर्टी के वास्तविक मूल्य के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। यह निर्णय संपत्ति के लेन-देन को और अधिक पारदर्शी बनाने और टैक्स की चोरी को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है।
नए टैक्स का उद्देश्य और प्रभाव:
सरकार का कहना है कि इस नए नियम से संपत्ति बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे कालाबाजारी पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। इसके अलावा, इस टैक्स से राजस्व में वृद्धि होगी, जो राज्य सरकारों के लिए एक अहम स्रोत बनेगा। यह कदम सरकारी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को मजबूत बनाने की दिशा में भी है, ताकि संपत्ति के लेन-देन में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को रोका जा सके।
इस नियम का असर सभी प्रकार की संपत्तियों पर पड़ेगा, चाहे वह आवासीय हो या व्यावासिक, और यह नियम शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू होगा। अब कोई भी व्यक्ति जो जमीन खरीदने या बेचने जा रहा है, उसे उस संपत्ति के वास्तविक बाजार मूल्य के आधार पर निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होगा।
नए टैक्स का निर्धारण:
इस टैक्स का मूल्यांकन संपत्ति के वास्तविक मूल्य के आधार पर किया जाएगा। रियल एस्टेट की कीमतों के उतार-चढ़ाव को देखते हुए, यह शुल्क समय-समय पर बदला जा सकता है। यह नियम संपत्ति के लेन-देन में पारदर्शिता और सरकारी आय में बढ़ोतरी की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
विपक्षी प्रतिक्रियाएं:
हालांकि, इस कदम को लेकर कुछ विपक्षी दलों और विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस टैक्स से सामान्य जनता पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा और इससे संपत्ति खरीदने-बेचने की प्रक्रिया और भी जटिल हो सकती है। विपक्षी दलों ने इसे मध्यवर्गीय और कम आमदनी वाले वर्ग के लिए एक और वित्तीय चुनौती करार दिया है।
अंतिम फैसला और लागू होने की तारीख:
सरकार ने इस नए प्रॉपर्टी टैक्स नियम को लागू करने की तारीख अभी तक नहीं बताई है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इसे जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा और संबंधित सरकारी विभागों द्वारा इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
इस फैसले का उद्देश्य संपत्ति बाजार को और अधिक नियंत्रित करना और सरकारी आय में वृद्धि करना है। सरकार उम्मीद करती है कि इस कदम से संपत्ति की खरीद-फरोख्त में पारदर्शिता आएगी और टैक्स चोरी पर काबू पाया जा सकेगा।