
वरिष्ठ नागरिकों के हित में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: बच्चों को माता-पिता की देखभाल की शर्त पर ही मिलेगी संपत्ति
संपत्ति और देखभाल का नियम
सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि बच्चों को माता-पिता द्वारा दी गई संपत्ति और गिफ्ट्स तभी मान्य होंगे जब वे उनकी देखभाल करें और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करें। यदि बच्चे ऐसा करने में असफल रहते हैं, तो संपत्ति और गिफ्ट्स को वापस लिया जा सकता है।
क्या कहा कोर्ट ने?
- देखभाल की शर्त: सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम (Welfare of Parents and Senior Citizens Act) के तहत, संपत्ति का ट्रांसफर तभी मान्य होगा जब बच्चे माता-पिता की देखभाल करेंगे।
- संपत्ति का ट्रांसफर रद्द होगा: यदि बच्चे अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते, तो संपत्ति का ट्रांसफर शून्य घोषित किया जाएगा।
- मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का निर्णय खारिज: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि माता-पिता की सेवा न करने पर संपत्ति को रद्द नहीं किया जा सकता।
कानून के उदार दृष्टिकोण की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए कानून का उदार दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
- सेक्शन 23 का प्रावधान: इस सेक्शन के अनुसार, यदि संपत्ति और गिफ्ट ट्रांसफर करते समय बच्चों को माता-पिता की देखभाल करने की शर्त दी गई है और वे इसमें असफल रहते हैं, तो यह ट्रांसफर रद्द किया जा सकता है।
- भविष्य की सुरक्षा: अदालत ने यह भी कहा कि संपत्ति का ट्रांसफर जबरदस्ती या अनुचित प्रभाव के तहत हुआ माना जाएगा यदि बच्चे अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करते।
वरिष्ठ नागरिकों को लाभ
यह फैसला उन बुजुर्गों के लिए राहत लेकर आया है जो ज्वाइंट फैमिली सिस्टम खत्म होने के कारण अकेले रह जाते हैं। अब माता-पिता अपनी संपत्ति और गिफ्ट्स को सुरक्षित रख सकेंगे और बच्चों पर उनकी देखभाल का दबाव रहेगा।