
हरियाणा के अधिकारियों का गुरुग्राम की सरकारी कोठियों पर कब्जा: रिटायर्ड और तैनात अधिकारियों की अनदेखी
गुरुग्राम, 8 जनवरी।
हरियाणा में सरकारी कोठियों पर अवैध कब्जे का मामला गंभीर मुद्दा बन गया है। दर्जनभर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने गुरुग्राम की सरकारी कोठियों पर कब्जा जमा रखा है। इनमें से कई रिटायर्ड हो चुके हैं और कुछ की पोस्टिंग बाहर हो चुकी है, फिर भी वे कोठियों को खाली करने से इनकार कर रहे हैं।
कोठियों पर कब्जे का कारण
गुरुग्राम, हरियाणा का आर्थिक केंद्र, सुविधाओं और आधुनिक जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध है। यहां की बड़ी और आरामदायक कोठियां अधिकारियों की पहली पसंद बनी हुई हैं।
हालांकि नियमों के अनुसार, अधिकारियों को कार्यस्थल वाले जिले में ही सरकारी आवास का उपयोग करना चाहिए। लेकिन गुरुग्राम की लोकेशन और सुविधाओं के कारण अधिकारी यहां अवैध कब्जा बनाए हुए हैं।
किन अधिकारियों के नाम शामिल?
सूत्रों के अनुसार, साहिल गुप्ता (एडीसी फरीदाबाद), मोहम्मद इमरान रजाक (आईएएस), प्रदीप मालिक (एडीसी मेवात) और रिटायर्ड आईपीएस अनिल राव सहित कई अधिकारियों ने सरकारी कोठियों पर कब्जा किया हुआ है।
इनमें से कई अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं, लेकिन कानूनी बहानों से आवास खाली नहीं कर रहे।
नए अधिकारियों के लिए संकट
गुरुग्राम में नई पोस्टिंग वाले अधिकारियों को आवास की कमी का सामना करना पड़ रहा है। कई अधिकारी गेस्ट हाउस और अस्थायी आवासों में रहने को मजबूर हैं।
प्रशासन और सरकार की भूमिका
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और हरियाणा सरकार इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।
- प्रभावशाली अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में प्रशासन नाकाम रहा है।
- मुख्य सचिव को जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
क्या सरकार इन कोठियों को खाली करवा पाएगी?
अवैध कब्जे हटाने का दावा बेमानी?
सरकार द्वारा अवैध कब्जे हटाने के दावे की पोल इस मामले ने खोल दी है।
- अधिकारियों का प्रभाव और राजनीतिक दबाव आवास खाली करने में सबसे बड़ी बाधा है।
- सरकारी नीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
आगे क्या होगा?
गुरुग्राम की यह स्थिति प्रशासनिक अक्षमता को उजागर करती है।
क्या सरकार सख्त कदम उठाएगी? या फिर यह मामला राजनीतिक दबाव में दब जाएगा?
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इन कोठियों को खाली करवाने में सफल हो पाती है या नहीं।