एक दर्जन बड़े अधिकारी गुरुग्राम से बाहर सरकारी कोठी गुरुग्राम में।
गणेश सिंह चौहान
गुरुग्राम 21 जनवरी। आखिरकार हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार में अधिकारियों की मनमर्जी चल रही है या किसी नेता के इशारे पर हो रहा है जिन अधिकारियों के कंधे पर अवैध कब्जों को हटाने की जिम्मेवारी है वही अधिकतर अधिकारी कब्जे धारी होते जा रहे हैं इस बात को लेकर भी हरियाणा प्रदेश में चर्चा का केंद्र बन गया है की जिन अधिकारियों के कंधे पर सरकारी भूमि से अवैध कब्जे हटाने का जिम्मा है सही अधिकारी सरकारी कई कई वर्षों से सरकारी कोठियों पर कब्जा जमाए हुए है और सरकारी नियमों की जरिया उड़ा रहे हैं जिनके कंधे पर नियमों की पालना करने की जिम्मेदारी है आज वही नियमों को तार-तार कर रहे हैं और चंडीगढ़ में बैठे उच्च अधिकारी सरकारी का नियमों को तोड़ने वाले अधिकारियों की पीठ थपथपा रहे हैं।
कुछ अधिकारी पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में रात्रि बिताते हैं
जानकारी के अनुसार गुरुग्राम में एक से दो वर्ष पहले जो अधिकारी बड़ी पोस्टों पर तैनात थे आज उनमें से अधिकतर अधिकारियों का तबादला गुरुग्राम से अन्य जिलों में हो गया मगर सरकारी कोठी छोड़ने का मन नहीं करता और जिन अधिकारियों को हरियाणा सरकार ने अन्य जिलों से लाकर गुरुग्राम में तैनात किया गया वह अधिकारी सरकारी कोठी लेने के लिए डर-डर की ठोकरेखा रहे कुछ अधिकारी पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में रात्रि बिताते हैं मगर उन्हें सरकारी कोठी नसीब नहीं होती गुरुग्राम के एसडीएम के अलावा अन्य उच्च अधिकारी सरकारी गेस्ट हाउस में रहने पर मजबूर है मगर जो बड़े अधिकारी कई वर्षों से सरकारी कोठियों पर कब्जे किए हुए हैं वह कोठी खाली करने को तैयार नहीं है।
मजेदार बात तो यह है की गुरुग्राम में एक बड़े अधिकारी को डेढ़ साल बाद सरकारी कोठी नसीब हुई उन्हें पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में डेढ़ वर्ष तक रहना पड़ा इस और आईपीएस अधिकारियों की दादागिरी से कुछ अधिकारी परेशान नजर आ रहे हैं हरियाणा के मुख्य सचिव विवेक जोशी को भी पूरी जानकारी है लेकिन उन अधिकारों से सरकारी कोठियां क्यों नहीं खाली कराई जा रही जो हरियाणा के भिवानी मेवात रेवाड़ी फरीदाबाद के अलावा अन्य जिलों में तैनात है नौकरी अन्य जिलों में कर रहे हैं और रहने के लिए सरकारी कोठियां गुड़गांव में कब्जाई हुई है जो अधिकारी गुरुग्राम में जनता की सेवा में लगे हुए हैं वे सरकारी गेस्ट हाउस में समय काट रहे हैं।
कुछ अधिकारियों को तो अभी तक नहीं मिली।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार गुरुग्राम के मंडल आयुक्त को भी करीब वर्ष बाद बीतने के बाद सरकारी कोठी नसीब हुई थी और कुछ अधिकारियों को तो अभी तक नहीं मिली।
गुरुग्राम के नगर निगम कमिश्नर की बात की जाए तो तो उनके पास दो सरकारी बड़े-बड़े मकान है एक सरकारी मकान में कैंप ऑफिस चलता है दूसरा सरकारी मकान में परिवार रहता है।
कई बार लिखा जा चुका है लेकिन सरकारी कोठी नहीं मिलती।
एक सरकारी अधिकारी अपना नाम नए छापने की शर्त पर बताया कि हमें तो रेस्ट हाउस में रहना पड़ रहा है कई कर्मचारी सरकारी मकान के लिए भटक रहे लेकिन यहां तो रिटायर्ड अधिकारियों को आलीशान कोठियों मिली हुई है जिनको कई कई वर्ष रिटायर हो चुके हैं।