
चंडीगढ़, 11 मार्च – हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विपक्ष की स्थिति बेहद कमजोर नजर आ रही है। विपक्षी दलों की आपसी गुटबाजी और नेतृत्व के अभाव के कारण सत्ताधारी दल मजबूत स्थिति में दिख रहा है। विधानसभा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहित भाजपा के अन्य नेता प्रभावी ढंग से अपनी बात रख रहे हैं, जबकि विपक्ष के नेता सत्ता पक्ष के सवालों का संतोषजनक जवाब देने में असमर्थ साबित हो रहे हैं।
बिना विपक्ष के नेता के चल रहा विधानसभा सत्र
यह लगातार दूसरा बजट सत्र है, जो बिना किसी आधिकारिक विपक्ष के नेता के चल रहा है। कांग्रेस, जो हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल है, उसने अब तक विधानसभा में विपक्ष के नेता की नियुक्ति नहीं की है।
हरियाणा में विपक्ष का चेहरा माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस पद के सबसे मजबूत दावेदार हैं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान अब उन पर भरोसा नहीं जता रहा है। पार्टी नेतृत्व मानता है कि हरियाणा में कांग्रेस की हालिया हार के लिए हुड्डा की रणनीति जिम्मेदार रही है, इसी कारण उन्हें विपक्ष के नेता का पद नहीं सौंपा गया है।
अंदरूनी कलह से जूझ रही कांग्रेस
हरियाणा कांग्रेस इस समय आंतरिक कलह और नेतृत्व संकट से गुजर रही है। प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस विधायक दल के अधिकांश सदस्य हुड्डा के पक्ष में हैं, लेकिन कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व उनके समर्थन में नहीं है।
हुड्डा पहले ही पार्टी हाईकमान से कई बार मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें विपक्ष के नेता का दर्जा नहीं दिया गया है। इससे कांग्रेस की स्थिति और कमजोर होती जा रही है, क्योंकि बिना किसी नेतृत्व के विपक्ष विधानसभा में प्रभावी भूमिका नहीं निभा पा रहा है।
हुड्डा को मिल रही है विपक्ष के नेता जैसी सुविधाएं
विपक्ष के नेता के रूप में नामित न होने के बावजूद, हरियाणा सरकार भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विपक्ष के नेता के सभी विशेषाधिकार और सुविधाएं प्रदान कर रही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देश पर हुड्डा को गाड़ी, सरकारी आवास, सुरक्षा और अन्य सुविधाएं मिल रही हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह हुड्डा और भाजपा के बीच बढ़ती नजदीकियों का संकेत हो सकता है।
भाजपा में जाएंगे हुड्डा? सियासी गलियारों में अटकलें तेज
भूपेंद्र सिंह हुड्डा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं से नजदीकियां किसी से छिपी नहीं हैं। हाल ही में भाजपा की राज्यसभा सांसद किरण चौधरी ने बयान दिया था कि हुड्डा के लिए भाजपा के दरवाजे खुले हैं।
राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हैं कि भविष्य में हुड्डा भाजपा का दामन थाम सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो यह हरियाणा की राजनीति में बड़ा उलटफेर साबित होगा।
क्या हरियाणा में कांग्रेस और कमजोर होगी?
अगर हुड्डा भाजपा में जाते हैं तो यह हरियाणा कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा। हुड्डा फिलहाल हरियाणा कांग्रेस के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं, और उनके जाने से पार्टी में और अधिक अस्थिरता आ सकती है।
अब देखना यह होगा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस में बने रहते हैं या फिर भाजपा की ओर कदम बढ़ाते हैं।