
लखनऊ, संभल 28 मार्च। उत्तर प्रदेश के संभल जिले के गुन्नौर थाना क्षेत्र में एक महिला पर अत्याचार का मामला सामने आया है, जिसने कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़िता के अनुसार, उसे जिंदा जलाने की कोशिश की गई और फिर सामूहिक बलात्कार जैसी घिनौनी वारदात को अंजाम दिया गया। आरोप है कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने आरोपियों को बचाने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लिया।
पहला हमला: जिंदा जलाने की कोशिश
पीड़िता ने बताया कि करीब 7 साल पहले उसकी ससुराल में देवर और सास ने उसे जिंदा जलाने की कोशिश की। किसी तरह जान बचाकर वह अस्पताल पहुंची, लेकिन जब उसके पिता ने गुन्नौर थाना में शिकायत दर्ज करवानी चाही, तो पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। महिला ने कई बार थाने के चक्कर काटे, मगर कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।
दूसरा हमला: सामूहिक बलात्कार
इस दर्दनाक घटना के बाद भी पीड़िता के ससुराल पक्ष के अत्याचार कम नहीं हुए। 2 साल पहले, ससुराल में ही महिला के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। जब वह थाना गुन्नौर पहुंची और आपबीती सुनाई, तब भी पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया। मजबूरन, पीड़िता ने अदालत का रुख किया। अदालत के कई चक्कर लगाने के बाद एफआईआर दर्ज की गई।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
महिला का आरोप है कि गुन्नौर पुलिस ने आरोपियों को बचाने के लिए अंतिम रिपोर्ट (Final Report) लगा दी। इस रिपोर्ट में केवल आरोपियों के बयान दर्ज किए गए और यह साबित करने की कोशिश की गई कि महिला के सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। पीड़िता का कहना है कि पुलिस ने भ्रष्टाचार के तहत मोटी रकम लेकर यह रिपोर्ट तैयार की।
गाजियाबाद में भी सुरक्षित नहीं
अपने साथ हुए अन्याय से बचने के लिए पीड़िता ने अपना घर छोड़ दिया और गाजियाबाद में रहने लगी। लेकिन यहां भी आरोपी उसका पीछा करते रहे। महिला का आरोप है कि उसे अगवा करने की कोशिश की गई। हालांकि वह किसी तरह बच निकली। जब वह स्थानीय पुलिस के पास पहुंची, तो गाजियाबाद पुलिस ने भी शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया।
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
पीड़िता ने यह भी खुलासा किया कि अदालत में सुनवाई के दौरान कुछ सरकारी अधिकारियों ने उससे 3 लाख रुपये की रिश्वत मांगी। आरोप है कि उन्होंने कहा कि यदि महिला पैसे देती है, तो फैसला उसके पक्ष में आएगा, वरना आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।
मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार
थक-हार कर पीड़िता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने का प्रयास किया। लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय में भी उसे सिर्फ झूठे आश्वासन दिए गए। महिला को कहा गया कि अब उसकी शिकायत पर कार्रवाई होगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
महिला सुरक्षा पर सवाल
इस मामले ने उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। कानून व्यवस्था पर उठ रहे सवाल और पुलिस तंत्र में फैला भ्रष्टाचार पीड़ितों को न्याय से वंचित कर रहा है।
क्या हो आगे की राह?
- स्वतंत्र जांच: मामले की निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र एजेंसी को नियुक्त किया जाना चाहिए।
- पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई: गुन्नौर थाना के अधिकारियों की भूमिका की जांच कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
- महिला आयोग का हस्तक्षेप: राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।
जब न्यायपालिका में भी रिश्वतखोरी और पुलिस में भ्रष्टाचार हावी हो जाए, तो एक पीड़ित महिला के लिए न्याय की उम्मीद रखना ही अपने आप में एक संघर्ष बन जाता है।