हरियाणा के पूर्व विधायक और मंत्री अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं।
चंडीगढ़, 4 अप्रैल 2025 – हरियाणा प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार को करीब छह महीने हो चुके हैं, और इस समय सरकार के भीतर कुछ मंत्री अधिकारियों से परेशान नजर आ रहे हैं। इन मंत्रियों का आरोप है कि आईएएस और आईपीएस अधिकारी उनके आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं, उनका फोन तक नहीं उठाते, और उन्हें उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे सरकार के भीतर एक तरह का अधिकारियों-मंत्रियों का टकराव सामने आ रहा है।
इन मंत्रियों ने अपनी शिकायतें प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के सामने भी रखी हैं, लेकिन इस पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। यह समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, क्योंकि मंत्री अपनी सरकार के भीतर अधिकारियों की लापरवाही और उनकी अनदेखी से निराश हैं।
मंत्रियों की शिकायतें और अधिकारियों का रवैया
हरियाणा के तीन मंत्री पिछले पाँच महीने से अधिकारियों की शिकायत कर रहे हैं। उनका आरोप है कि अधिकारी न तो उनकी बात सुनते हैं और न ही उनके आदेशों पर काम करते हैं। इन मंत्रियों का कहना है कि अधिकारियों के पास उनकी कॉल्स का कोई जवाब नहीं होता और वे उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेते। ये शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंच चुकी हैं, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है।
साथ ही, कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने खुलासा किया है कि वे मंत्रियों द्वारा किए गए कुछ अनुरोधों को नियमों के खिलाफ मानते हैं, और इसलिए उनके आदेशों का पालन नहीं करते। यही कारण है कि कई अधिकारी फोन नहीं उठाते या उनसे मिलने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें फटकार और आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।
पूर्व विधायकों और मंत्री की सुरक्षा मुद्दा
इसके साथ ही, हरियाणा के पूर्व विधायक और मंत्री अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। ये नेता अपने क्षेत्रों में भारी पुलिस सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, ताकि उनके दौरे को भारी पुलिस बल के साथ महत्वपूर्ण बना सकें।
मंत्री और विधायक चाहते हैं कि पुलिस की पीसीआर उनके गांव में सुरक्षा के रूप में उपलब्ध हो, ताकि उनके आगमन से लोगों पर गहरा प्रभाव पड़े। हालांकि, सिर्फ कुछ विधायकों को ही पुलिस सुरक्षा मिल रही है, और अधिकांश नेताओं को यह सुविधा नहीं दी जा रही है। इस मुद्दे पर भी विधायकों और पुलिस अधिकारियों के बीच एक विवाद उत्पन्न हो गया है।
आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की शिकायतें
हरियाणा के आईएएस और आईपीएस अधिकारी यह मानते हैं कि मंत्री उनसे ऐसे काम करने की मांग करते हैं जो कानूनी और प्रशासनिक नियमों के खिलाफ हैं। जब अधिकारी इन निर्देशों का पालन करने से मना करते हैं, तो उन्हें मंत्री और उनके सहायकों से आलोचना का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति मंत्री और अधिकारियों के बीच टकराव की ओर ले जा रही है, जो अंततः कार्यकुशलता पर प्रतिकूल असर डाल सकती है।
मुख्यमंत्री को दी गई जानकारी
चंडीगढ़ में बैठे तीन सीनियर आईएएस अधिकारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस स्थिति से अवगत कराया है। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को सूचित किया है कि मंत्री उन पर ऐसे आदेश डाल रहे हैं, जो नियमों के खिलाफ हैं, और जब वे इन आदेशों को पूरा नहीं कर पाते, तो उन्हें नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलती हैं।
सीनियर अधिकारियों का यह भी कहना है कि तीन मंत्री पिछले कुछ महीनों से उनके खिलाफ शिकायतें उठा रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने अभी तक किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की है। इसका मतलब यह हो सकता है कि सरकार अधिकारियों के पक्ष में खड़ी है और मंत्री अपनी मनमर्जी से अधिकारियों से कार्य नहीं करवा सकते।
अनिल विज और अन्य मंत्री का खुला आरोप
हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने तो सार्वजनिक रूप से अधिकारियों की लापरवाही के बारे में सरकार और मीडिया में बयान दिए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की अवज्ञा के कारण सरकार के कई कार्य रुक गए हैं। विज ने फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें की हैं, लेकिन सरकार की ओर से इन मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
सभी पहलुओं को जोड़ते हुए
हरियाणा सरकार के भीतर बढ़ता यह अधिकारियों और मंत्रियों के बीच का तनाव कई गंभीर सवालों को जन्म दे रहा है। क्या मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस विवाद को सुलझाने में सक्षम होंगे? क्या सरकार को इस स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए कोई ठोस कदम उठाना होगा?
अगर यह टकराव बढ़ता है, तो इससे सरकार की कार्यकुशलता प्रभावित हो सकती है, और आंतरिक गतिरोध सरकार के कामकाजी माहौल को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इस समय मंत्री और अधिकारियों के बीच सामंजस्य स्थापित करना एक चुनौती बन चुकी है, जिसे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को जल्द सुलझाना होगा।
