संत का संदेश:
जो जीवन में तनाव, परेशानी और रिश्तों में असमंजस का सामना कर रहे हैं।
किसी से गलती हो जाना स्वाभाविक है,
लेकिन उसे स्वीकार कर बिना अहंकार के
झुक जाना सबसे बुद्धिमानी का काम है।
भिवानी: 8 अप्रैल 2025, हाल ही में एक संत ने जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने विचार साझा किए, जो सभी को आत्म-मूल्यांकन और सोचने का अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा, “हे भाई, गलती होने पर झुकना और क्रोध आने पर रुकना बहुत सी समस्याओं को जन्म लेने से रोक देता है।” यह सरल सी परंतु गहरी सीख उन लोगों के लिए है, जो जीवन में तनाव, परेशानी और रिश्तों में असमंजस का सामना कर रहे हैं।
दूसरों को दोषी ठहराते हैं, तो इससे तनाव और समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
अगर हम झुकने और रुकने की कला को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लें,
संत ने बताया कि जीवन में किसी से गलती हो जाना स्वाभाविक है, लेकिन उसे स्वीकार कर बिना अहंकार के झुक जाना सबसे बुद्धिमानी का काम है। गलती से सीख लेकर आगे बढ़ना न केवल आत्म-सम्मान बढ़ाता है, बल्कि यह हमें एक बेहतर इंसान बनाने में मदद करता है। इसके विपरीत, अगर हम अपनी गलतियों को अनदेखा करते हैं और दूसरों को दोषी ठहराते हैं, तो इससे तनाव और समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
जब भी क्रोध आए, हमें उसे नियंत्रित करना चाहिए
क्रोध के impulsive (तात्कालिक) प्रतिक्रिया से रिश्तों में दरारें आ सकती हैं
संत ने क्रोध पर भी ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि जब भी क्रोध आए, हमें उसे नियंत्रित करना चाहिए और एक कदम पीछे हटकर स्थिति का विश्लेषण करना चाहिए। क्रोध के impulsive (तात्कालिक) प्रतिक्रिया से रिश्तों में दरारें आ सकती हैं और समस्याएं बढ़ सकती हैं। अगर हम थोड़ी देर रुककर शांत मन से विचार करें तो हम किसी भी स्थिति में सही निर्णय ले सकते हैं।
यह समाज में शांति और सामंजस्य बनाए रखने में भी सहायक है।
“अगर हम झुकने और रुकने की कला को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लें, तो कई समस्याओं को जन्म लेने से पहले ही रोका जा सकता है,” उन्होंने आगे कहा। यह संदेश न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में शांति और सामंजस्य बनाए रखने में भी सहायक है।
समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश:
समाज में बढ़ते तनाव और तनावपूर्ण रिश्तों के बीच
संत का यह संदेश आज के तनावपूर्ण और व्यस्त जीवन में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। समाज में बढ़ते तनाव और तनावपूर्ण रिश्तों के बीच, यह विचार आत्म-मूल्यांकन का एक अच्छा अवसर प्रदान करते हैं। अगर हम अपनी गलतियों को स्वीकार कर उन्हें सुधारने का प्रयास करें और क्रोध को शांतिपूर्वक नियंत्रित करें, तो हम न केवल अपने जीवन को शांतिपूर्ण बना सकते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
यह संदेश सभी के लिए एक प्रेरणा है कि हमें खुद को बेहतर बनाने के लिए छोटे कदम उठाने चाहिए और जीवन के हर पहलू में सामंजस्य बनाए रखना चाहिए।