
भारतीय पासपोर्ट होने की वजह से पाकिस्तान के अधिकारियों ने उन्हें बॉर्डर पर रोक लिया
नई दिल्ली 28 अप्रैल 2025। सना ने 2020 में पाकिस्तान में रहने वाले अपनी बुआ के बेटे से निकाह किया था और तभी से वह पाकिस्तान में टूरिस्ट वीजा पर रह रही हैं। उनका वीजा हर 6 माह में बढ़ाया जाता है, लेकिन अब सना को अपने बच्चों के साथ पाकिस्तान लौटने के लिए कई कानूनी और प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उनका भारतीय पासपोर्ट होने की वजह से पाकिस्तान के अधिकारियों ने उन्हें बॉर्डर पर रोक लिया, जबकि उनके बच्चों को पाकिस्तानी नागरिकता के कारण प्रवेश की अनुमति दी गई।
सरहद पर स्थिति
सना और उनके परिवार के लोग भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं क्योंकि उनके पास कुछ ही दिन बचे हैं। खासकर, भारत सरकार द्वारा जारी किए गए गाइडलाइंस के अनुसार, पाकिस्तान से आए लोग 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने के लिए बाध्य होते हैं। सना का कहना है कि उनका पाकिस्तान जाने का इरादा सिर्फ अपने परिवार के साथ रहने का है, लेकिन उनके पासपोर्ट के कारण उन्हें कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।
पाकिस्तान की नागरिकता
पाकिस्तान में रहने वाले भारतीय नागरिकों को वहां की नागरिकता प्राप्त करने में कम से कम 9 साल का समय लगता है। इस अवधि के बाद ही उन्हें पाकिस्तानी नागरिकता मिलती है। सना को अभी पाकिस्तान की नागरिकता नहीं मिली है, क्योंकि उनकी शादी को 9 साल से कम का समय हुआ है। वहीं, उनके बच्चों का जन्म पाकिस्तान में होने के कारण वे जन्म से पाकिस्तानी नागरिक बन गए हैं।
कठिनाईयों का सामना
सना का कहना है कि वह अब भारत से पाकिस्तान जाना चाहती हैं ताकि अपने बच्चों के साथ रह सकें, लेकिन भारतीय पासपोर्ट के कारण उसे यह संभव नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा, सना के परिवार का आरोप है कि पाकिस्तान में उनका प्रवेश रोका गया है जबकि उनके बच्चों को पाकिस्तानी पासपोर्ट होने के कारण प्रवेश की अनुमति दी जा रही है।
केंद्र सरकार और राजनयिक पहलू
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि सना और उनके परिवार को इस तरह की कठिनाई का सामना क्यों करना पड़ रहा है। क्या भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर राजनयिक संवाद नहीं हो सकता, ताकि ऐसे परिवारों को परेशानी न हो? इस तरह की घटनाओं से यह सवाल उठता है कि सीमाओं और कागज़ी औपचारिकताओं के बीच मानवीय रिश्तों को अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
संवेदनशील मुद्दा
यह मामला न केवल एक महिला और उसके बच्चों का है, बल्कि यह उस बड़ी समस्या का हिस्सा है, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन के कारण परिवारों के बीच दूरी आ जाती है। ऐसे मामलों में प्रशासनिक लचीलापन और मानवीय दृष्टिकोण की जरूरत है, ताकि ऐसे परिवार एक-दूसरे से मिल सकें और परिवार का एकता कायम रह सके।
सना और उनके परिवार का मुद्दा न केवल एक व्यक्तिगत मामला है, बल्कि यह भारतीय-पाकिस्तानी रिश्तों और प्रशासनिक नीतियों पर भी सवाल खड़ा करता है। इस तरह के मामलों को हल करने के लिए दोनों देशों को एक मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, ताकि सीमाओं के पार रिश्ते टूटने के बजाय मजबूत हों।