
नई दिल्ली, 5 मई 2025 प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लांड्रिंग मामले में कांग्रेस पार्टी के समालखा से पूर्व विधायक धर्म सिंह छोक्कर को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी दिल्ली के एक होटल से की गई। ED ने यह कार्रवाई उनके खिलाफ चल रही जांच के तहत की है, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं।
गिरफ्तारी के कारण:
धर्म सिंह छोक्कर पर आरोप है कि उन्होंने मनी लांड्रिंग के माध्यम से अवैध धन को वैध बनाने का प्रयास किया था। ED के अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले में छोक्कर की कथित भूमिका की जांच के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है। उनके खिलाफ चल रही जांच में यह बात सामने आई थी कि वे वित्तीय लेन-देन में शामिल थे, जिसमें अवैध तरीके से धन का संचरण किया गया था।
एजेंसी की जांच:
ED की टीम ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की और धर्म सिंह छोक्कर के खिलाफ कई जगहों पर छापेमारी की। उनके खिलाफ विभिन्न आर्थिक अपराधों के तहत मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया गया था। जांच के दौरान, यह पाया गया कि छोक्कर ने अवैध तरीके से धन की अदला-बदली की थी, जिससे आर्थिक संकट में घिरे लोगों का फायदा उठाया गया।
गिरफ्तारी की प्रक्रिया:
धर्म सिंह छोक्कर को दिल्ली के एक प्रमुख होटल से गिरफ्तार किया गया, जहां वे कुछ दिनों से रह रहे थे। गिरफ्तारी के बाद उन्हें ED के अधिकारियों ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। आगे की जांच में, उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।
कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया:
कांग्रेस पार्टी की ओर से अभी तक इस गिरफ्तारी पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, इस गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस पार्टी पर सवाल उठने की संभावना है, क्योंकि धर्म सिंह छोक्कर पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे हैं। यह घटना कांग्रेस पार्टी के लिए एक और विवाद का कारण बन सकती है।
कानूनी कार्रवाई:
धर्म सिंह छोक्कर को मनी लांड्रिंग से जुड़े गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ेगा। ED की जांच अब यह तय करेगी कि छोक्कर पर लगाए गए आरोप सही हैं या नहीं। अगर अदालत ने उन्हें दोषी पाया, तो यह गिरफ्तारी और मामले का नतीजा कांग्रेस पार्टी के लिए बड़े राजनीतिक झटके का कारण बन सकता है।
यह गिरफ्तारी मनी लांड्रिंग मामलों में एजेंसी की कड़ी कार्रवाई का हिस्सा है, जिसमें राजनीतिक और वित्तीय रूप से महत्वपूर्ण व्यक्तियों की जांच हो रही है। ED द्वारा इस तरह की कार्रवाई से संदेश मिलता है कि सरकारी एजेंसियां किसी भी व्यक्ति या पार्टी को कानून से ऊपर नहीं मानतीं, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो।