
भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक चार युद्ध हो चुके हैं। हर बार पाकिस्तान ने युद्ध की शुरुआत की, लेकिन परिणामस्वरूप उसे हर बार मुंह की खानी पड़ी। पाकिस्तान का युद्धों में टिक न पाना और उसकी सेना का जल्दी घुटने टेक देना एक बड़ी ऐतिहासिक सच्चाई है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आज हम इतिहास के पन्नों को पलटकर जानेंगे कि पाकिस्तान कितने दिनों तक भारत के सामने टिक सका और हर बार उसे कैसे करारी शिकस्त मिली।
पहला युद्ध: 1947-48 – कश्मीर की लड़ाई
समयकाल: अक्टूबर 1947 से 1 जनवरी 1949 तक
कारण: जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करने के लिए पाकिस्तान समर्थित कबाइलियों ने हमला किया।
परिणाम: भारतीय सेना ने दो-तिहाई जम्मू-कश्मीर पर नियंत्रण कायम रखा, जबकि पाकिस्तान को गिलगित-बाल्टिस्तान और PoK तक सीमित रहना पड़ा।
नतीजा: पाकिस्तान अपने मंसूबों में असफल रहा और संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप से युद्ध विराम लागू हुआ।
दूसरा युद्ध: 1965 – ऑपरेशन जिब्राल्टर की नाकामी
समयकाल: 5 अगस्त से 23 सितम्बर 1965
कारण: पाकिस्तान ने कश्मीर में घुसपैठ कर अस्थिरता फैलाने की कोशिश की।
परिणाम: भारतीय सेना लाहौर तक पहुंच गई थी। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र के दबाव में युद्धविराम हुआ।
नतीजा: ताशकंद समझौते के तहत दोनों देशों ने कब्जे वाले क्षेत्र छोड़ दिए। यदि यह समझौता न होता तो लाहौर भारत का हिस्सा बन चुका होता।
तीसरा युद्ध: 1971 – पाकिस्तान के दो टुकड़े
समयकाल: 3 दिसंबर से 16 दिसंबर 1971
कारण: पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में मानवाधिकार हनन के खिलाफ भारत का हस्तक्षेप
परिणाम: मात्र 13 दिनों में पाकिस्तानी सेना ने ढाका में आत्मसमर्पण किया। 93,000 पाकिस्तानी सैनिक युद्धबंदी बने।
नतीजा: बांग्लादेश का जन्म हुआ और यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी सैन्य जीत मानी जाती है।
चौथा युद्ध: 1999 – करगिल युद्ध
समयकाल: 3 मई से 26 जुलाई 1999 (लगभग 84 दिन)
कारण: पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय नियंत्रण रेखा पार कर कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था।
परिणाम: ऑपरेशन विजय के तहत भारतीय सेना ने दुश्मन को खदेड़ा।
नतीजा: पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी उठानी पड़ी और उसे पीछे हटना पड़ा।
क्या होगा अगर पांचवां युद्ध हुआ?
पिछले चार युद्धों का इतिहास साफ दिखाता है कि पाकिस्तान ज्यादा दिनों तक भारत के सामने टिक नहीं पाता। अब जबकि सीमा पर बार-बार आतंकी घटनाएं हो रही हैं, और भारत ने सख्त रवैया अपनाया है—जैसे कि सिंधु जल समझौते की समीक्षा, पाक कलाकारों का बहिष्कार, सार्क वीजा रद्द करना—ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत और पाकिस्तान एक और युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं?
यदि ऐसा होता है तो पाकिस्तान को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ सकता है—और शायद इस बार पहले से भी बड़ा।
निष्कर्ष:
भारत के धैर्य और सैन्य ताकत ने हर बार पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर किया है। चाहे रणनीति हो, सैन्य बल हो या अंतरराष्ट्रीय कूटनीति—भारत हर मोर्चे पर पाकिस्तानी साज़िशों को नाकाम करता आया है और भविष्य में भी इसके लिए पूरी तरह सक्षम है।