
देशभर में आज श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान गौतम बुद्ध को स्मरण किया गया।
📍 नई दिल्ली, 12 मई 2025
✍️ विशेष संवाददाता
बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर देशभर में आज श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान गौतम बुद्ध को स्मरण किया गया। राजधानी दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में बुद्ध पूर्णिमा से संबंधित आयोजन हुए, जहाँ श्रद्धालुओं ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का स्मरण करते हुए सत्य, अहिंसा, करुणा और शांति के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर दिए गए एक संदेश में कहा गया:
“हम भगवान बुद्ध के दिखाए सत्य, अहिंसा और शांति के मार्ग पर चलें। मानवता का कल्याण इसी में है।”
🌼 देशभर में बुद्ध पूर्णिमा उत्सव
बुद्ध पूर्णिमा को भगवान गौतम बुद्ध की जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि), और महापरिनिर्वाण — तीनों घटनाओं की तिथि के रूप में मनाया जाता है। यह वैशाख मास की पूर्णिमा को आता है और बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। देश में बोधगया (बिहार), सारनाथ (उत्तर प्रदेश), कुशीनगर, और दिल्ली स्थित बुद्ध विहारों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।
🪷 बुद्ध के संदेश आज भी प्रासंगिक
भगवान बुद्ध का जीवन और उनके उपदेश आज के समय में भी शांति, सहिष्णुता, और सामाजिक समरसता के प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने अहिंसा, सत्य, करुणा और मध्यम मार्ग (Middle Path) का उपदेश दिया। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे लोभ, मोह, और द्वेष से ऊपर उठकर जीवन को संयम और आत्मबोध से जीएँ।
🕊️ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी भगवान बुद्ध को नमन करते हुए उनकी शिक्षाओं को आज की चुनौतियों से निपटने का मार्गदर्शक बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा:
“भगवान बुद्ध का मार्ग हमें सत्य, शांति और करुणा की ओर ले जाता है। उनका जीवन, विश्व के लिए प्रेरणा है। आइए, हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें और समाज में प्रेम व समरसता फैलाएँ।”
🏛️ संस्थाओं और स्कूलों में हुए कार्यक्रम
देशभर के बौद्ध संगठनों, शैक्षिक संस्थानों, और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा विशेष व्याख्यान, ध्यान सत्र, और प्रभात फेरी जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए। बच्चों ने भगवान बुद्ध के जीवन पर आधारित चित्र प्रदर्शनी और नाटक प्रस्तुत किए।
🌍 वैश्विक स्तर पर भी समारोह
बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव केवल भारत तक सीमित नहीं रहा। श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, जापान, नेपाल और अन्य बौद्ध देशों में भी यह दिन श्रद्धा के साथ मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र ने भी इस दिन को “Vesak Day” के रूप में मान्यता दी है।
बुद्ध पूर्णिमा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक चेतना का पर्व है। आज के तनावपूर्ण समय में भगवान बुद्ध के विचार — करुणा, मैत्री, और अहिंसा — ही मानवता के लिए मार्गदर्शक बन सकते हैं। इस अवसर पर देशवासियों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि वे सामाजिक सौहार्द बनाए रखने, पर्यावरण की रक्षा करने और जरूरतमंदों की सहायता करने में पीछे नहीं हटेंगे।