
भारत ने संघर्ष विराम में अमेरिकी मध्यस्थता की बात को नकारते हुए
दिल्ली, 14 मई 2025 – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में रियाद में एक भाषण के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में अपनी भूमिका का श्रेय लिया है। उन्होंने दावा किया कि उनके प्रशासन ने एक “ऐतिहासिक संघर्ष विराम” स्थापित किया, और व्यापारिक दबाव का उपयोग करके दोनों देशों को शांति की ओर अग्रसर किया। ट्रम्प ने कहा, “अगर मैं न होता, तो युद्ध होता” ।
भारत की प्रतिक्रिया:
भारत ने ट्रम्प के इस दावे को खारिज किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने को देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह संघर्ष विराम अस्थायी है, स्थायी नहीं। कांग्रेस पार्टी ने ट्रम्प के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को समान रूप से प्रस्तुत किया और प्रधानमंत्री मोदी की तुलना नवाज शरीफ से की, जो भारत की गरिमा के खिलाफ है ।
संघर्ष विराम का संदर्भ:
यह संघर्ष विराम 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान पर मिसाइल हमले करने के बाद शुरू हुआ। इसके बाद पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमला किया। दुनिया भर के देशों ने दोनों देशों से कूटनीतिक बातचीत की अपील की, जिसके परिणामस्वरूप 10 मई को संघर्ष विराम की घोषणा की गई ।
ट्रम्प की अन्य कूटनीतिक गतिविधियाँ:
रियाद में ट्रम्प ने सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से मुलाकात की, जो पूर्व में अल-कायदा से जुड़े थे। उन्होंने सीरिया पर लगे सभी प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा की, जिसे सीरिया में स्वागत किया गया है ।
भारत ने संघर्ष विराम में अमेरिकी मध्यस्थता की बात को नकारते हुए इसे अपने मित्रवत संबंधों और पाकिस्तान से आतंकवाद के मुद्दे पर दबाव के कारण माना है। ट्रम्प के बयान ने भारत में राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने संघर्ष विराम का स्वागत किया है।