
न्यू इंडिया न्यूज़ नेटवर्क – “खूनी डायरी”
एपिसोड: बेगुनकोडोर – एक भूतिया स्टेशन की रहस्यमयी कहानी
प्रस्तुतकर्ता: आलोक कुमार
[थ्रिलिंग बैकग्राउंड म्यूजिक शुरू होता है]
आलोक कुमार:
नमस्कार! मैं हूँ आलोक कुमार, और आप देख रहे हैं न्यू इंडिया न्यूज़ नेटवर्क। रात के 10 बज चुके हैं, और अब वक्त है आपके पसंदीदा शो खूनी डायरी का। आज की कहानी उस स्टेशन की है, जहाँ 42 सालों तक कोई ट्रेन नहीं रुकी… एक स्टेशन जिसे लोग कहते हैं “चुड़ैल का ठिकाना”।
[सस्पेंसफुल साउंड इफेक्ट]
आज हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में स्थित बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन की – एक ऐसा स्टेशन जो कभी इंसानों के लिए बना था, लेकिन वक्त ने इसे बना दिया भूतों का अड्डा।
साल था 1960, जब इस स्टेशन की शुरुआत हुई। इसे खुलवाने में अहम भूमिका निभाई थी संथाल रानी श्रीमती लाचन कुमारी ने। कुछ वर्षों तक सब कुछ सामान्य रहा। ट्रेनें आती-जाती रहीं, यात्री उतरते-चढ़ते रहे। लेकिन फिर शुरू हुआ डरावना सिलसिला…
[धीमे-धीमे म्यूजिक के साथ सस्पेंस बढ़ता है]
साल 1967, एक रेलवे कर्मचारी ने दावा किया कि उसने स्टेशन पर एक महिला की आत्मा को देखा। अगले ही दिन स्टेशन मास्टर और उनका पूरा परिवार रहस्यमय हालत में मृत पाए गए… रेलवे क्वार्टर में! और यहीं से शुरू हुआ बेगुनकोडोर का खौफनाक अध्याय।
स्थानीय लोग कहते हैं, सूरज ढलने के बाद, जब भी कोई ट्रेन स्टेशन के पास से गुजरती थी, एक चुड़ैल उसके साथ-साथ दौड़ती थी, और कई बार तो वो ट्रेन से भी तेज दौड़ जाती थी!
धीरे-धीरे स्टेशन वीरान हो गया। यात्री यहाँ उतरने से डरने लगे। रेलवे कर्मचारी यहाँ पोस्टिंग लेने से मना करने लगे। नतीजा ये हुआ कि 1970 के दशक में स्टेशन को बंद कर दिया गया। और अगले 42 सालों तक यहाँ कोई ट्रेन नहीं रुकी।
लेकिन फिर आया साल 2009, जब स्थानीय लोगों की मांग पर तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने स्टेशन को फिर से शुरू करवाया। आज भी स्टेशन चालू है, पर सूरज डूबने के बाद… यहाँ सन्नाटा पसर जाता है।
कहते हैं कि आज तक किसी ने भूत को दोबारा नहीं देखा… लेकिन स्टेशन की खामोशी आज भी चीख-चीख कर कुछ कहती है…
[थ्रिलिंग म्यूजिक क्लाइमैक्स पर पहुंचता है]
तो दोस्तों, ये थी बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन की सच्ची लेकिन रहस्यमयी कहानी। क्या आप रात के अंधेरे में इस स्टेशन पर जाने की हिम्मत करेंगे?
अगर आपको ये एपिसोड पसंद आया हो, तो हमें ज़रूर बताइए। अगली बार फिर मिलेंगे एक नई खौफनाक और रहस्यमयी कहानी के साथ, सिर्फ खूनी डायरी में।
मैं हूँ आलोक कुमार, तब तक के लिए – नमस्कार। और… डर के आगे… कहानी बाकी है!