
इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में भी पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित किया है।
लखनऊ, 2 जून 2025: उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के बीच संतुलन स्थापित करते हुए एक अभूतपूर्व कदम उठाया है। राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से न केवल वनों के संरक्षण को प्राथमिकता दी है, बल्कि इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में भी पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित किया है।
मुख्य पहलें:
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मिनी-फॉरेस्ट योजना:
राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में ‘मिनी-फॉरेस्ट’ विकसित करने की योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, प्रत्येक नगर निगम को ₹3 करोड़ तक का बजट आवंटित किया गया है, जिससे 2,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में हरित क्षेत्र विकसित किया जाएगा। इससे शहरी हीट आइलैंड प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी। -
सौर-हाइब्रिड सिंचाई प्रणाली:
किसानों की आय बढ़ाने के लिए, राज्य सरकार ने 1,750 ट्यूबवेलों के पुनर्निर्माण की योजना बनाई है। इसमें सौर-हाइब्रिड प्रणाली का उपयोग किया जाएगा, जिससे ऊर्जा की बचत होगी और सिंचाई क्षमता में वृद्धि होगी। इससे लगभग 2.5 लाख किसान परिवारों को लाभ होगा। -
वृक्षारोपण अभियान:
राज्य सरकार ने 2025 में 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए ₹600 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। इसके अतिरिक्त, गोरखपुर में उत्तर प्रदेश फॉरेस्ट्री और हॉर्टिकल्चर विश्वविद्यालय की स्थापना की योजना है। -
वन्यजीव संरक्षण:
राज्य सरकार ने वन्यजीवों के संरक्षण के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। पिलिभीत टाइगर रिजर्व को TX2 पुरस्कार प्राप्त हुआ है, जिससे बाघों की संख्या दोगुनी हुई है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार ने मानव-वन्यजीव संघर्ष के पीड़ितों के लिए मुआवजा राशि बढ़ाने की योजना बनाई है।
निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश सरकार की ये पहलें यह दर्शाती हैं कि विकास और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ लेकर चला जा सकता है। राज्य सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन सकता है।