
प्रदोषकाल (7:22–9:23 PM) में विधिपूर्वक पूजा और कथा पढ़े, विशेष उपाय करें—विशेषतः बेलपत्र, पंचामृत, बिल्वपत्र आदि से शिवजी की पूजा अति फलदायक है।
आज का पंचांग और सोम प्रदोष व्रत
दिनांक:
-
विक्रम संवत् 2082, शक संवत् 1947
-
आषाढ़ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी – रात 10:10 बजे तक
-
अंग्रेजी तिथि: सोमवार, 23 जून 2025
सौर ऋतु व ग्रह:
-
सूर्य अभी उत्तरायण में स्थित, वर्षा ऋतु की वर्तमान अवस्था
राहुकाल:
-
सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक रहेगा—इस दौरान नए कार्य और यात्रा टालें
प्रदोष व्रत की विशेषता:
-
मासिक शिवरात्रि और सोम प्रदोष व्रत का दिन—सोमवार होने के कारण इसे सोम प्रदोष कहते हैं। इस व्रत का धार्मिक रूप से बहुत महत्व है
-
यह जून का अंतिम प्रदोष व्रत भी है, जिसमें शिवजी की पूजा करने पर भक्तों को दोगुना पुण्य की मान्यता है
शुभ पूजा मुहूर्त:
-
शाम 7:22 बजे से रात 9:23 बजे तक पूजा का श्रेयस समय माना गया है
🔱 पूजा विधि एवं महत्व
-
उपवास (व्रत):
-
सूर्योदय से प्रारंभ करें—गाय, अनाज, मसाले तथा नमक त्यागकर रखा जाता है
-
-
प्रदोषकाल में पूजा:
-
संध्या के समय शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, पंचामृत इत्यादि से अभिषेक करें
-
बेलपत्र, भांग, आक/मदार/गुड़हल, हवन सामग्री चढ़ाएँ
-
मंत्र जाप जैसे “ॐ नमः शिवाय”, “ॐ त्र्यंबकं यजामहे” करें
-
-
कथा एवं आरती:
-
प्रदोष व्रत कथा सुनना/पढ़ना, तथा शिव-गौरी की आरती व प्रसाद वितरण करना शुभ फलदायी समझा जात
-
-
व्रत का पारण:
-
अगले दिन सुबह उपवास तोड़ते हैं; कुछ लोग केवल फल या दूध-जल ग्रहण करते हैं
-
-
इच्छा पूर्ति उपाय:
-
धन हेतु 108 बिल्वपत्र चढ़ाना, रोग निवारण हेतु चांदी की अंगूठी अर्पित करना, विवाह हेतु लाल पुष्प से शिवजी की पूजा, इत्यादि उपाय सुझाए गए हैं
-
📅 अन्य जूनी व्रत-त्योहार
व्रत/त्यौहार | तिथि और महत्व |
---|---|
रवि प्रदोष (8 जून) | शुक्ल पक्ष त्रयोदशी, रविवार |
निर्जला एकादशी (6 जून) | उच्च पुण्यदायक |
योगिनी एकादशी (21 जून) | पापमोचन एवं 88 हजार ब्राह्मण दान के बराबर फल |
आषाढ़ अमावस्या (25 जून) | पितृपक्ष पूजा हेतु खास |
गुप्त नवरात्र (26–) | घट स्थापना सहित दुर्गा पूजा की शुरुआत |
जगन्नाथ रथयात्रा (27 जून) | सार्थक उत्सव, विशेषकर पुरी में |
✅ सारांश व सुझाव
-
आज का दिन (23 जून 2025) संघर्ष, साधना, शांति, समृद्धि: चारों दृष्टियों से अत्यंत शुभ है।
-
राहुकाल (7:30–9:00 AM) और रात्रि शूल योग दौरान कोई नया कार्य टालें।
-
प्रदोषकाल (7:22–9:23 PM) में विधिपूर्वक पूजा और कथा पढ़े, विशेष उपाय करें—विशेषतः बेलपत्र, पंचामृत, बिल्वपत्र आदि से शिवजी की पूजा अति फलदायक है।
-
आज का व्रत मानसिक तनाव को दूर करता है, ग्रह दोष निवारण हेतु उत्तम है, और विशेष रूप से चिन्ता, स्वास्थ्य, धन, विवाह की मनोकामनाओं में लाभदायक माना जाता है